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Information
Old NCERT is important for UPSC exam preparation. Aspirants should always start their UPSC Civil Services preparation from the basic NCERT books.
Mostly IAS toppers told that NCERT is the foundation of their exam preparation.NCERT are very important from prelims perspective.
We are Providing NCERT based quiz for your preparation. In this quiz, There will have 5 questions in each quiz. The questions are mainly framed from old NCERT class 6 to 12. This quiz is intended to introduce you to basic concepts and certain relevant to UPSC IAS civil services preliminary exam.
Hope this test will help to increase your preparation level.
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Question 1 of 5
1. Question
2 pointsअंग्रेज़ों की नई राजधानी के तौर पर दिल्ली के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. एडवर्ड लुटियंस और हर्बर्ट बेकर नाम के दो वास्तुकारों को नई दिल्ली और उसकी इमारतों का डिज़ाइन तैयार करने का ज़िम्मा सौंपा गया।
2. दिल्ली के वास्तुकारों द्वारा डिज़ाइन की गई दिल्ली में क्लासिकी यूनानी (पाँचवी शताब्दी ईसा पूर्व) की झलक मिलती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?Correct
उत्तरः (c)
व्याख्याः उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं।
नई दिल्ली की इमारतों की वास्तुकारी का काम एडवर्ड लुटियंस और हर्बर्ट बेकर को दिया गया था। इसी प्रक्रिया में नई दिल्ली स्थित सरकारी परिसर में दो मील का चौड़ा रास्ता, वायसरॉय के महल (वर्तमान राष्ट्रपति भवन) तक जाने वाला किंग्सवे (वर्तमान राजपथ) और उसके दोनों तरफ सचिवालय की इमारतें बनाई गईं।
इन सरकारी इमारतों की बनावट में भारत के शाही इतिहास के अलग-अलग दौर की झलक दिखाई देती थी फिर भी इसका रूप मोटे तौर पर क्लासिकी यूनान (पाँचवी शताब्दी ईसा पूर्व) का दिखाई देता था। उदाहरण के लिये वायसराय पैलेस का केंद्रीय गुंबद साँची में बने बौद्ध स्तूप की बनावट पर आधारित था। लाल भुरभुरे पत्थर और नक्काशीदार जालियों की प्रेरणा मुगल वास्तुशिल्प से ली गई थी। लेकिन नई इमारतों में ब्रिटिश प्रभुत्व की झलक भी ज़रूरी थी, इसलिये वास्तुकारों ने इस बात का ख्याल रखा कि वायसराय का महल शाहजहाँ की जामा मस्जिद से भी ऊँचा हो।Incorrect
उत्तरः (c)
व्याख्याः उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं।
नई दिल्ली की इमारतों की वास्तुकारी का काम एडवर्ड लुटियंस और हर्बर्ट बेकर को दिया गया था। इसी प्रक्रिया में नई दिल्ली स्थित सरकारी परिसर में दो मील का चौड़ा रास्ता, वायसरॉय के महल (वर्तमान राष्ट्रपति भवन) तक जाने वाला किंग्सवे (वर्तमान राजपथ) और उसके दोनों तरफ सचिवालय की इमारतें बनाई गईं।
इन सरकारी इमारतों की बनावट में भारत के शाही इतिहास के अलग-अलग दौर की झलक दिखाई देती थी फिर भी इसका रूप मोटे तौर पर क्लासिकी यूनान (पाँचवी शताब्दी ईसा पूर्व) का दिखाई देता था। उदाहरण के लिये वायसराय पैलेस का केंद्रीय गुंबद साँची में बने बौद्ध स्तूप की बनावट पर आधारित था। लाल भुरभुरे पत्थर और नक्काशीदार जालियों की प्रेरणा मुगल वास्तुशिल्प से ली गई थी। लेकिन नई इमारतों में ब्रिटिश प्रभुत्व की झलक भी ज़रूरी थी, इसलिये वास्तुकारों ने इस बात का ख्याल रखा कि वायसराय का महल शाहजहाँ की जामा मस्जिद से भी ऊँचा हो। -
Question 2 of 5
2. Question
2 pointsभारतीय कपड़े और विश्व बाज़ार के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. अठारहवीं सदी की शुरुआत में यूरोप में भारतीय कपड़े की इतनी अधिक मांग थी कि खुद इंग्लैंड की महारानी भी भारतीय कपड़ों से बने परिधान पहनती थीं।
2. ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊन व रेशम निर्माताओं को संरक्षण प्रदान करने के लिये ‘कैलिको अधिनियम’ पारित किया था।
3. भारत में संयुक्त प्रांत स्थित लखनऊ बंडाना शैली के कपड़ों का सबसे महत्त्वपूर्ण केंद्र था।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?Correct
उत्तरः (a)
व्याख्याः
अठारहवीं सदी की शुरुआत में यूरोप में भारतीय कपड़े की इतनी अधिक मांग थी कि इंग्लैंड के रईस ही नहीं, बल्कि खुद महारानी भी भारतीय कपड़ों से बने परिधान पहनती थीं। अतः कथन 1 सही है।
मसालों की तलाश में आए पुर्तगालियों ने सबसे पहले केरल के कालीकट में डेरा डाला और यहाँ से वे मसालों के साथ सूती कपड़ा भी ले गए। इस सूती कपड़े को उन्होंने कैलिको कहा जो बाद में हर तरह के सूती कपड़े के लिये प्रयोग किया जाने लगा।
भारतीय कपड़े की लोकप्रियता से इंग्लैंड के ऊन और रेशम व्यापारी बेचैन थे जिनके दबाव में 1720 में ब्रिटिश सरकार ने इंग्लैंड में छापेदार सूती कपड़े के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाने के लिये एक कानून पारित कर दिया। संयोगवश इस कानून को भी कैलिको अधिनियम ही कहा जाता था। अतः कथन 2 भी सही है।
कथन 3 गलत है, क्योंकि बंडाना शैली के कपड़े अधिकांशतः राजस्थान और गुजरात में बनाए जाते थे। बंगाल में स्थित ढाका और संयुक्त प्रांत (वर्तमान उत्तर प्रदेश) स्थित लखनऊ जामदानी बुनाई के सबसे
महत्त्वपूर्ण केंद्र थे। ढाका अठारहवीं सदी में सबसे महत्त्वपूर्ण कपड़ा उत्पादन केन्द्र था। पटोला बुनाई सूरत, अहमदाबाद और पाटन में होती थी।Incorrect
उत्तरः (a)
व्याख्याः
अठारहवीं सदी की शुरुआत में यूरोप में भारतीय कपड़े की इतनी अधिक मांग थी कि इंग्लैंड के रईस ही नहीं, बल्कि खुद महारानी भी भारतीय कपड़ों से बने परिधान पहनती थीं। अतः कथन 1 सही है।
मसालों की तलाश में आए पुर्तगालियों ने सबसे पहले केरल के कालीकट में डेरा डाला और यहाँ से वे मसालों के साथ सूती कपड़ा भी ले गए। इस सूती कपड़े को उन्होंने कैलिको कहा जो बाद में हर तरह के सूती कपड़े के लिये प्रयोग किया जाने लगा।
भारतीय कपड़े की लोकप्रियता से इंग्लैंड के ऊन और रेशम व्यापारी बेचैन थे जिनके दबाव में 1720 में ब्रिटिश सरकार ने इंग्लैंड में छापेदार सूती कपड़े के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाने के लिये एक कानून पारित कर दिया। संयोगवश इस कानून को भी कैलिको अधिनियम ही कहा जाता था। अतः कथन 2 भी सही है।
कथन 3 गलत है, क्योंकि बंडाना शैली के कपड़े अधिकांशतः राजस्थान और गुजरात में बनाए जाते थे। बंगाल में स्थित ढाका और संयुक्त प्रांत (वर्तमान उत्तर प्रदेश) स्थित लखनऊ जामदानी बुनाई के सबसे
महत्त्वपूर्ण केंद्र थे। ढाका अठारहवीं सदी में सबसे महत्त्वपूर्ण कपड़ा उत्पादन केन्द्र था। पटोला बुनाई सूरत, अहमदाबाद और पाटन में होती थी। -
Question 3 of 5
3. Question
2 pointsउन्नीसवीं सदी में बुनकरों द्वारा तैयार भारतीय कपड़े के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. ब्रिटेन में सूती कपड़ा उद्योग के विकास से भारतीय कपड़े को अन्तर्राष्ट्रीय कपड़ा बाज़ारों में ब्रिटिश उद्योगों में बने कपड़ों से मुकाबला करना पड़ता था।
2. उन्नीसवीं सदी की शुरुआत में ब्रिटिश सरकार ने भारत से आने वाले कपड़े पर भारी सीमा शुल्क थोप दिये थे।
3. उन्नीसवीं सदी के अंत में दक्षिणी भारत के शोलापुर और पश्चिमी भारत का मदुरा बुनकरी के महत्त्वपूर्ण केन्द्र थे।
4. 1931 में चरखे को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के तिरंगे झंडे की बीच वाली पट्टी में जगह दी गई जिससे खादी को बल मिला।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?Correct
उत्तरः (c)
व्याख्याः
ब्रिटेन में सूती कपड़ा उद्योग के विकास से उन्नीसवीं सदी की शुरुआत में भारतीय कपड़ा उत्पादकों को यूरोप और अमेरिका जैसे बाज़ारों में ब्रिटिश उद्योगों से आए कपड़े का मुकाबला करना पड़ता था। साथ ही भारत से इंग्लैंड को कपड़े का निर्यात मुश्किल होता जा रहा था, क्योंकि ब्रिटिश सरकार ने भारत से आने वाले कपड़े पर भारी सीमा शुल्क थोप दिये थे। अतः कथन 1 और 2 सही हैं।
ऐसे प्रभाव भारतीय कपड़ा उद्योग को पतन की ओर ले गए। 1830 के दशक तक भारतीय बाज़ार ब्रिटेन में बने सूती कपड़े से भर गए और 1880 के दशक तक स्थिति यह हो गई थी कि भारत के लोग जितना सूती कपड़ा पहनते थे उसमें दो-तिहाई ब्रिटेन का बना होता था।
ऐसे प्रभावों के बाद भी भारतीय कपड़ा बुनकरी पूरी तरह खत्म नहीं हुई, क्योंकि कपड़ों की कुछ किस्में मशीनों पर नहीं बन सकती थीं। अतः पश्चिमी भारत में शोलापुर और दक्षिणी भारत में मदुरा उन्नीसवीं सदी के आखिर में बुनकरी के नए महत्त्वपूर्ण केन्द्र बनकर सामने आए। अतः कथन 3 गलत है।
बाद में राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी ने भी लोगों से आह्वान किया कि वे आयातित कपड़े का बहिष्कार करें और हाथ से कते सूत और हाथ से बुने कपड़े ही पहनें। इस तरह खादी राष्ट्रवाद का प्रतीक बनती चली गई और 1931 में चरखे को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के तिरंगे झंडे की बीच वाली पट्टी में जगह दी गई।Incorrect
उत्तरः (c)
व्याख्याः
ब्रिटेन में सूती कपड़ा उद्योग के विकास से उन्नीसवीं सदी की शुरुआत में भारतीय कपड़ा उत्पादकों को यूरोप और अमेरिका जैसे बाज़ारों में ब्रिटिश उद्योगों से आए कपड़े का मुकाबला करना पड़ता था। साथ ही भारत से इंग्लैंड को कपड़े का निर्यात मुश्किल होता जा रहा था, क्योंकि ब्रिटिश सरकार ने भारत से आने वाले कपड़े पर भारी सीमा शुल्क थोप दिये थे। अतः कथन 1 और 2 सही हैं।
ऐसे प्रभाव भारतीय कपड़ा उद्योग को पतन की ओर ले गए। 1830 के दशक तक भारतीय बाज़ार ब्रिटेन में बने सूती कपड़े से भर गए और 1880 के दशक तक स्थिति यह हो गई थी कि भारत के लोग जितना सूती कपड़ा पहनते थे उसमें दो-तिहाई ब्रिटेन का बना होता था।
ऐसे प्रभावों के बाद भी भारतीय कपड़ा बुनकरी पूरी तरह खत्म नहीं हुई, क्योंकि कपड़ों की कुछ किस्में मशीनों पर नहीं बन सकती थीं। अतः पश्चिमी भारत में शोलापुर और दक्षिणी भारत में मदुरा उन्नीसवीं सदी के आखिर में बुनकरी के नए महत्त्वपूर्ण केन्द्र बनकर सामने आए। अतः कथन 3 गलत है।
बाद में राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी ने भी लोगों से आह्वान किया कि वे आयातित कपड़े का बहिष्कार करें और हाथ से कते सूत और हाथ से बुने कपड़े ही पहनें। इस तरह खादी राष्ट्रवाद का प्रतीक बनती चली गई और 1931 में चरखे को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के तिरंगे झंडे की बीच वाली पट्टी में जगह दी गई। -
Question 4 of 5
4. Question
2 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. भारत में औद्योगिक सूती वस्त्रोत्पादन की पहली बड़ी लहर प्रथम विश्व युद्ध के समय दिखाई दी थी।
2. भारत में लोहे एवं इस्पात में औद्योगिक विस्तार प्रथम विश्व युद्ध के समय शुरू हुआ।
3. टीपू सुल्तान की तलवार में खास विशेषता वाली बुट्ज स्टील का प्रयोग हुआ था।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?Correct
उत्तरः (d)
व्याख्याः उपर्युक्त सभी कथन सही हैं।
भारत में औद्योगिक सूती वस्त्रोत्पादन की पहली लहर प्रथम विश्व युद्ध के समय दिखाई दी जब ब्रिटेन से आने वाले कपड़े की मात्रा में काफी कमी आ गई थी और सैनिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिये भारतीय कारखानों से कपड़े का उत्पादन बढ़ाने की मांग की जाने लगी।
सूती कपड़े की तरह लोहे एवं इस्पात के मामले में भी औद्योगिक विस्तार तभी शुरू हुआ जब भारत में ब्रिटिश आयात गिरने लगा और भारतीय वस्तुओं की मांग बढ़ी।
टीपू सुल्तान की तलवार की धार इतनी पैनी थी कि वह लौह-कवच को भी आसानी से चीर सकती थी। इस तलवार में यह गुण कार्बन की अधिक मात्रा वाली वुट्ज नामक स्टील से पैदा हुआ था जो उस समय पूरे दक्षिण भारत में बनाई जाती थी। टीपू सुल्तान की तलवार की एक विशेषता यह भी थी कि उसकी मूठ पर कुरान की आयतें लिखी हुई थीं।Incorrect
उत्तरः (d)
व्याख्याः उपर्युक्त सभी कथन सही हैं।
भारत में औद्योगिक सूती वस्त्रोत्पादन की पहली लहर प्रथम विश्व युद्ध के समय दिखाई दी जब ब्रिटेन से आने वाले कपड़े की मात्रा में काफी कमी आ गई थी और सैनिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिये भारतीय कारखानों से कपड़े का उत्पादन बढ़ाने की मांग की जाने लगी।
सूती कपड़े की तरह लोहे एवं इस्पात के मामले में भी औद्योगिक विस्तार तभी शुरू हुआ जब भारत में ब्रिटिश आयात गिरने लगा और भारतीय वस्तुओं की मांग बढ़ी।
टीपू सुल्तान की तलवार की धार इतनी पैनी थी कि वह लौह-कवच को भी आसानी से चीर सकती थी। इस तलवार में यह गुण कार्बन की अधिक मात्रा वाली वुट्ज नामक स्टील से पैदा हुआ था जो उस समय पूरे दक्षिण भारत में बनाई जाती थी। टीपू सुल्तान की तलवार की एक विशेषता यह भी थी कि उसकी मूठ पर कुरान की आयतें लिखी हुई थीं। -
Question 5 of 5
5. Question
2 pointsनिम्नलिखित में से किस स्थान पर भारत की पहली सूती कपड़ा मिल स्थापित हुई थी?
Correct
उत्तरः (b)
व्याख्याः भारत में पहली सूती कपड़ा मिल 1854 में बम्बई में स्थापित हुई थी। यह कताई मिल थी।Incorrect
उत्तरः (b)
व्याख्याः भारत में पहली सूती कपड़ा मिल 1854 में बम्बई में स्थापित हुई थी। यह कताई मिल थी।
Ias