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Information
Old NCERT is important for UPSC exam preparation. Aspirants should always start their UPSC Civil Services preparation from the basic NCERT books.
Mostly IAS toppers told that NCERT is the foundation of their exam preparation.NCERT are very important from prelims perspective.
We are Providing NCERT based quiz for your preparation. In this quiz, There will have 5 questions in each quiz. The questions are mainly framed from old NCERT class 6 to 12. This quiz is intended to introduce you to basic concepts and certain relevant to UPSC IAS civil services preliminary exam.
Hope this test will help to increase your preparation level.
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Question 1 of 5
1. Question
2 pointsजनजातीय समाज के संदर्भ में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः
1. उपमहाद्वीप में कई समाज ब्राह्मणों द्वारा सुझाए गए सामाजिक नियमों और कर्मकांडों को नहीं मानते थे और न ही असमान वर्गों में विभाजित थे। अक्सर ऐसे समाज को जनजातीय समाज कहा जाता था।
2. जनजातीय समूह व्यक्तिगत रूप से भूमि और चरागाहों पर नियंत्रण रखते थे।
3. जाति आधारित और जनजातीय समाज दोनों अपनी विविध किस्म की ज़रूरतों के लिये कभी एक-दूसरे पर निर्भर नहीं रहे।
निम्न में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
उत्तरः (c)
व्याख्याः जनजातीय समूह व्यक्तिगत रूप से नहीं बल्कि संयुक्त रूप से भूमि और चरागाहों पर नियंत्रण रखते थे और अपने खुद के बनाए नियमों के आधार पर परिवारों के बीच इनका बँटवारा करते थे। कभी-कभी जाति विभाजन पर आधारित अधिक शक्तिशाली समाजों के साथ इनका टकराव होता था। कई मायनों में जनजातियों ने अपनी आज़ादी और अलहदा संस्कृति को बचाए रखा। जाति आधारित और जनजातीय समाज दोनों अपनी विविध किस्म की ज़रूरतों के लिये एक-दूसरे पर निर्भर भी रहे। टकराव और निर्भरता के इस संबंध ने दोनों समाजों को बदलने का काम किया।Incorrect
उत्तरः (c)
व्याख्याः जनजातीय समूह व्यक्तिगत रूप से नहीं बल्कि संयुक्त रूप से भूमि और चरागाहों पर नियंत्रण रखते थे और अपने खुद के बनाए नियमों के आधार पर परिवारों के बीच इनका बँटवारा करते थे। कभी-कभी जाति विभाजन पर आधारित अधिक शक्तिशाली समाजों के साथ इनका टकराव होता था। कई मायनों में जनजातियों ने अपनी आज़ादी और अलहदा संस्कृति को बचाए रखा। जाति आधारित और जनजातीय समाज दोनों अपनी विविध किस्म की ज़रूरतों के लिये एक-दूसरे पर निर्भर भी रहे। टकराव और निर्भरता के इस संबंध ने दोनों समाजों को बदलने का काम किया। -
Question 2 of 5
2. Question
2 pointsनीचे दिये गए सूची-I को सूची-II से मिलाइयेः
सूची-I सूची-II
A. खोखर 1. उत्तर-पूर्वी भाग
B. बलोच 2. पंजाब
C. अहोम 3. उत्तर-पश्चिम
D. चेर 4. बिहार-झारखंड
कूटः
A B C DCorrect
उत्तरः (b)
व्याख्याः पंजाब में 13वीं-14वीं सदी के दौरान खोखर जनजाति बहुत प्रभावशाली थी। यहाँ बाद में गक्खर लोग ज़्यादा महत्त्वपूर्ण हो गए। इनके मुखिया कमाल खान गक्खर को बादशाह अकबर ने मनसबदार बनाया था। उत्तर-पश्चिम में ब्लोच एक विशाल तथा शक्तिशाली जनजाति थी। ये लोग अलग-अलग मुखियों वाले कई छोटे-छोटे कुलों में बँटे हुए थे। उपमहाद्वीप के उत्तर-पूर्वी भाग पर नागा, अहोम और दूसरी जनजातियों का पूरी तरह प्रभुत्व था। मौजूदा बिहार और झारखंड के कई इलाकों में 12वीं सदी तक चेर सरदारशाहियों का उदय हो चुका था।Incorrect
उत्तरः (b)
व्याख्याः पंजाब में 13वीं-14वीं सदी के दौरान खोखर जनजाति बहुत प्रभावशाली थी। यहाँ बाद में गक्खर लोग ज़्यादा महत्त्वपूर्ण हो गए। इनके मुखिया कमाल खान गक्खर को बादशाह अकबर ने मनसबदार बनाया था। उत्तर-पश्चिम में ब्लोच एक विशाल तथा शक्तिशाली जनजाति थी। ये लोग अलग-अलग मुखियों वाले कई छोटे-छोटे कुलों में बँटे हुए थे। उपमहाद्वीप के उत्तर-पूर्वी भाग पर नागा, अहोम और दूसरी जनजातियों का पूरी तरह प्रभुत्व था। मौजूदा बिहार और झारखंड के कई इलाकों में 12वीं सदी तक चेर सरदारशाहियों का उदय हो चुका था। -
Question 3 of 5
3. Question
2 pointsनिम्नलिखित में से कौन-कौन से लाभ उच्च ज्वार से होते हैं?
1. उच्च ज्वार नौसंचालन में सहायक होते हैं।
2. उच्च ज्वार मछली पकड़ने में मदद करते हैं।
3. इनके उपयोग से विद्युत उत्पन्न की जा सकती है।Correct
उत्तरः (D)
व्याख्याः उच्च ज्वार नौसंचालन में सहायक होते हैं। ये जल स्तर को तट की ऊँचाई तक पहुँचाते हैं। ये जहाज़ को बंदरगाह तक पहुँचाने में सहायक होते हैं। उच्च ज्वार मछली पकड़ने में भी मदद करते हैं। उच्च ज्वार के दौरान अनेक मछलियाँ तट के निकट आ जाती हैं। इसके फलस्वरूप मछुआरे बिना कठिनाई के मछलियाँ पकड़ पाते हैं। कुछ स्थानों पर ज्वार-भाटा से होने वाले जल के उतार-चढ़ाव का उपयोग विद्युत उत्पन्न करने के लिये किया जाता है।Incorrect
उत्तरः (D)
व्याख्याः उच्च ज्वार नौसंचालन में सहायक होते हैं। ये जल स्तर को तट की ऊँचाई तक पहुँचाते हैं। ये जहाज़ को बंदरगाह तक पहुँचाने में सहायक होते हैं। उच्च ज्वार मछली पकड़ने में भी मदद करते हैं। उच्च ज्वार के दौरान अनेक मछलियाँ तट के निकट आ जाती हैं। इसके फलस्वरूप मछुआरे बिना कठिनाई के मछलियाँ पकड़ पाते हैं। कुछ स्थानों पर ज्वार-भाटा से होने वाले जल के उतार-चढ़ाव का उपयोग विद्युत उत्पन्न करने के लिये किया जाता है। -
Question 4 of 5
4. Question
2 pointsमहासागरीय धाराओं के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा कथन असत्य है?
Correct
उत्तरः (C)
व्याख्याः तीसरा कथन गलत है। लेब्रोडोर महासागरीय धाराएँ शीत जलधाराएँ होती हैं, जबकि गल्फ स्ट्रीम गर्म जलधाराएँ होती हैं।Incorrect
उत्तरः (C)
व्याख्याः तीसरा कथन गलत है। लेब्रोडोर महासागरीय धाराएँ शीत जलधाराएँ होती हैं, जबकि गल्फ स्ट्रीम गर्म जलधाराएँ होती हैं। -
Question 5 of 5
5. Question
2 pointsतड़ित झंझावात और चक्रवात के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. वायुमंडल के ऊँचे स्तरों पर पानी की नीचे गिरती बूंदें और ऊपर उठती वायु परस्पर उच्च वेग से गति करते हैं, जिससे तड़ित झंझावात का निर्माण होता है।
2. चक्रवात का केंद्र एक शांत क्षेत्र होता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?Correct
उत्तरः (c)
व्याख्याः
तड़ित झंझावात भारत जैसे गर्म, आर्द्र, ऊष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में अक्सर विकसित होते रहते हैं। ताप में वृद्धि होने के कारण ऊपर की ओर उठती हुई पवन प्रबल हो जाती है। पवन वायु में पहले से विद्यमान की जल बूंदों को अपने साथ ऊपर की ओर ले जाती है जहाँ ताप कम होने के कारण वे जम जाती हैं और पुनः नीचे की ओर गिरने लगती हैं। गिरती हुई जल की बूंदें और तीव्र वेग से ऊपर उठती हुई वायु की परस्पर क्रिया से बिजली (तड़ित) कौंधती है, जिससे ध्वनि उत्पन्न होती है। यह घटना तड़ित झंझावात कहलाती है। अतः कथन 1 सही है।
मौसम की कुछ परिस्थितियों में झंझावात चक्रवात का रूप धारण कर सकता है। इन परिस्थितियों को इस प्रकार समझ सकते हैं-
i) बादल के बनने से पहले जल वायुमंडल से ऊष्मा लेकर वाष्प में परिवर्तित हो जाता है। जब जलवाष्प वर्षा की बूंदों के रूप में बदलती है तो वायुमण्डल में ऊष्मा निर्मुक्त होती है। निर्मुक्त होने वाली ऊष्मा से आस-पास की वायु गर्म हो जाती है। गर्म वायु ऊपर की ओर उठती है इससे वायुदाब कम हो जाता है। इस चक्र की पुनरावृत्ति अनेक बार होती है। घटनाओं की इस श्रृंखला का अंत बहुत ही निम्न दाब के एक ऐसे तंत्र के निर्माण के साथ होता है, जिसके चारों ओर उच्च वेग की वायु की अनेक परतें कुंडली के रूप में घूमती रहती हैं मौसम की इस स्थिति को चक्रवात कहा जाता है। वायु वेग और वायु दिशा चक्रवात के तापमान और आर्द्रता में वृद्धि करने वाले कुछ कारक हैं।
ii) किसी चक्रवात का केंद्र एक शांत क्षेत्र होता है। इसे झंझा का नेत्र कहते हैं। अतः कथन 2 भी सही है। कोई विशाल चक्रवात वायुमंडल में वायु का तेज़ी से घूर्णन करता पिंड होता है जो पृथ्वी तल से लगभग 10 से 15 किलोमीटर की ऊँचाई पर स्थित होता है। चक्रवात के नेत्र का व्यास लगभग 10 से 30 किलोमीटर तक होता है। यह बादलों से मुक्त क्षेत्र होता है जिसमें पवन का वेग न्यून होता है। इस शांत और स्पष्ट नेत्र के इर्दगिर्द लगभग 150 किलोमीटर अमाप के बादल का क्षेत्र होता है। इस क्षेत्र में उच्च वेग की पवन और सघन वर्षा वाले घने बादल होते हैं। इस क्षेत्र से परे पवन वेग क्रमशः कम होता जाता है। चक्रवातों के भीतर टॉरनेडो जैसा तूफान भी बन सकता है। भारत में टॉरनेडो अधिक नहीं आते हैं।Incorrect
उत्तरः (c)
व्याख्याः
तड़ित झंझावात भारत जैसे गर्म, आर्द्र, ऊष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में अक्सर विकसित होते रहते हैं। ताप में वृद्धि होने के कारण ऊपर की ओर उठती हुई पवन प्रबल हो जाती है। पवन वायु में पहले से विद्यमान की जल बूंदों को अपने साथ ऊपर की ओर ले जाती है जहाँ ताप कम होने के कारण वे जम जाती हैं और पुनः नीचे की ओर गिरने लगती हैं। गिरती हुई जल की बूंदें और तीव्र वेग से ऊपर उठती हुई वायु की परस्पर क्रिया से बिजली (तड़ित) कौंधती है, जिससे ध्वनि उत्पन्न होती है। यह घटना तड़ित झंझावात कहलाती है। अतः कथन 1 सही है।
मौसम की कुछ परिस्थितियों में झंझावात चक्रवात का रूप धारण कर सकता है। इन परिस्थितियों को इस प्रकार समझ सकते हैं-
i) बादल के बनने से पहले जल वायुमंडल से ऊष्मा लेकर वाष्प में परिवर्तित हो जाता है। जब जलवाष्प वर्षा की बूंदों के रूप में बदलती है तो वायुमण्डल में ऊष्मा निर्मुक्त होती है। निर्मुक्त होने वाली ऊष्मा से आस-पास की वायु गर्म हो जाती है। गर्म वायु ऊपर की ओर उठती है इससे वायुदाब कम हो जाता है। इस चक्र की पुनरावृत्ति अनेक बार होती है। घटनाओं की इस श्रृंखला का अंत बहुत ही निम्न दाब के एक ऐसे तंत्र के निर्माण के साथ होता है, जिसके चारों ओर उच्च वेग की वायु की अनेक परतें कुंडली के रूप में घूमती रहती हैं मौसम की इस स्थिति को चक्रवात कहा जाता है। वायु वेग और वायु दिशा चक्रवात के तापमान और आर्द्रता में वृद्धि करने वाले कुछ कारक हैं।
ii) किसी चक्रवात का केंद्र एक शांत क्षेत्र होता है। इसे झंझा का नेत्र कहते हैं। अतः कथन 2 भी सही है। कोई विशाल चक्रवात वायुमंडल में वायु का तेज़ी से घूर्णन करता पिंड होता है जो पृथ्वी तल से लगभग 10 से 15 किलोमीटर की ऊँचाई पर स्थित होता है। चक्रवात के नेत्र का व्यास लगभग 10 से 30 किलोमीटर तक होता है। यह बादलों से मुक्त क्षेत्र होता है जिसमें पवन का वेग न्यून होता है। इस शांत और स्पष्ट नेत्र के इर्दगिर्द लगभग 150 किलोमीटर अमाप के बादल का क्षेत्र होता है। इस क्षेत्र में उच्च वेग की पवन और सघन वर्षा वाले घने बादल होते हैं। इस क्षेत्र से परे पवन वेग क्रमशः कम होता जाता है। चक्रवातों के भीतर टॉरनेडो जैसा तूफान भी बन सकता है। भारत में टॉरनेडो अधिक नहीं आते हैं।