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Information
Old NCERT is important for UPSC exam preparation. Aspirants should always start their UPSC Civil Services preparation from the basic NCERT books.
Mostly IAS toppers told that NCERT is the foundation of their exam preparation.NCERT are very important from prelims perspective.
We are Providing NCERT based quiz for your preparation. In this quiz, There will have 5 questions in each quiz. The questions are mainly framed from old NCERT class 6 to 12. This quiz is intended to introduce you to basic concepts and certain relevant to UPSC IAS civil services preliminary exam.
Hope this test will help to increase your preparation level.
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Question 1 of 5
1. Question
2 pointsवीरशैव आंदोलन की विशेषताओं से संबंधित नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः
1. तमिल भक्ति आंदोलन और मंदिर पूजा के प्रतिक्रिया स्वरूप यह आंदोलन शुरू हुआ।
2. ये सभी प्रकार के कर्मकांडों एवं मूर्तिपूजा के विरोधी थे।
3. यह आंदोलन सभी व्यक्तियों की समानता के प्रश्न में ब्राह्मणवादी विचारधारा के विरुद्ध था।
सत्य कथनों को पहचानिये :Correct
उत्तरः (d)
व्याख्याः अलवार एवं नयनार संतों के द्वारा शुरू किये गए तमिल भक्ति आंदोलन और मंदिर पूजा के बीच विशिष्ट संबंध थे। इसके परिणामस्वरूप जो प्रतिक्रिया हुई वह वसवन्ना और अल्लमा प्रभु और अक्कमहादेवी जैसे अनेक साथियों द्वारा शुरू किये गए वीरशैव आंदोलन में स्पष्टतः दिखलाई देती है। यह आंदोलन 12वीं शताब्दी के मध्य में कर्नाटक में शुरू हुई। वीरशैवों ने सभी व्यक्तियों की समानता के पक्ष में और जाति तथा नारी के व्यवहार के बारे में ब्राह्मणवादी विचारधारा के विरुद्ध अपने प्रबल तर्क प्रस्तुत किये।Incorrect
उत्तरः (d)
व्याख्याः अलवार एवं नयनार संतों के द्वारा शुरू किये गए तमिल भक्ति आंदोलन और मंदिर पूजा के बीच विशिष्ट संबंध थे। इसके परिणामस्वरूप जो प्रतिक्रिया हुई वह वसवन्ना और अल्लमा प्रभु और अक्कमहादेवी जैसे अनेक साथियों द्वारा शुरू किये गए वीरशैव आंदोलन में स्पष्टतः दिखलाई देती है। यह आंदोलन 12वीं शताब्दी के मध्य में कर्नाटक में शुरू हुई। वीरशैवों ने सभी व्यक्तियों की समानता के पक्ष में और जाति तथा नारी के व्यवहार के बारे में ब्राह्मणवादी विचारधारा के विरुद्ध अपने प्रबल तर्क प्रस्तुत किये। -
Question 2 of 5
2. Question
2 pointsसंत ज्ञानेश्वर, नामदेव, एकनाथ एवं तुकाराम तथा सखूबाई जैसी स्त्रियों ने किस क्षेत्र में भक्ति आंदोलन का नेतृत्व किया?
Correct
उत्तरः (b)
व्याख्याः 13वीं से 17वीं शताब्दी तक महाराष्ट्र में अनेकानेक संत एवं कवि हुए जिनके सरल मराठी भाषा में लिखे गए गीत आज भी जन-मन को प्रेरित करते हैं। इन्हीं सतों में प्रमुख थे- ज्ञानेश्वर, नामदेव, एकनाथ, तुकाराम तथा सखूबाई जैसी स्त्रियाँ तथा चोखामेना का परिवार जो ‘अस्पृश्य’ समझी जाने वाली महार जाति का था। संत ज्ञानेश्वर ने भगवतगीता पर टीका लिखी तथा नामदेव के कुछ पद्यात्मक गीत गुरु ग्रंथ साहिब में संगृहीत हैं।Incorrect
उत्तरः (b)
व्याख्याः 13वीं से 17वीं शताब्दी तक महाराष्ट्र में अनेकानेक संत एवं कवि हुए जिनके सरल मराठी भाषा में लिखे गए गीत आज भी जन-मन को प्रेरित करते हैं। इन्हीं सतों में प्रमुख थे- ज्ञानेश्वर, नामदेव, एकनाथ, तुकाराम तथा सखूबाई जैसी स्त्रियाँ तथा चोखामेना का परिवार जो ‘अस्पृश्य’ समझी जाने वाली महार जाति का था। संत ज्ञानेश्वर ने भगवतगीता पर टीका लिखी तथा नामदेव के कुछ पद्यात्मक गीत गुरु ग्रंथ साहिब में संगृहीत हैं। -
Question 3 of 5
3. Question
2 points13वीं से 17वीं सदी तक महाराष्ट्र में चले भक्ति आंदोलन के संदर्भ में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः
1. भक्ति की यह परंपरा पंढरपुर में विट्ठल (विष्णु का एक रूप) पर और जन-मन के हृदय में विराजमान व्यक्तिगत देव संबंधी विचारों पर केंद्रित थी।
2. इन संत-कवियों ने सभी प्रकार के कर्मकांडों, पवित्रता के ढोंगों एवं जन्म आधारित सामाजिक अंतरों का विरोध किया।
3. इन्होंने संन्यास के विचार पर अत्यधिक बल दिया।
निम्न में से कौन-से कथन सत्य हैं?Correct
उत्तरः (a)
व्याख्याः केवल कथन 3 गलत है। इन संत-कवियों ने संन्यास के विचार को ठुकरा दिया और किसी भी अन्य व्यक्ति की तरह रोजी-रोटी कमाते हुए परिवार के साथ रहने और विनम्रतापूर्वक ज़रूरतमंद साथी व्यक्तियों की सेवा करते हुए जीवन बिताने को अधिक पसंद किया। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि असली भक्ति दूसरों के दुःखों को बाँट लेना है।Incorrect
उत्तरः (a)
व्याख्याः केवल कथन 3 गलत है। इन संत-कवियों ने संन्यास के विचार को ठुकरा दिया और किसी भी अन्य व्यक्ति की तरह रोजी-रोटी कमाते हुए परिवार के साथ रहने और विनम्रतापूर्वक ज़रूरतमंद साथी व्यक्तियों की सेवा करते हुए जीवन बिताने को अधिक पसंद किया। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि असली भक्ति दूसरों के दुःखों को बाँट लेना है। -
Question 4 of 5
4. Question
2 pointsगांधीजी का प्रिय भजन ‘वैष्णव जन तो तेने कहिये पीर पराई जाने रे।’ किस संत ने लिखा था?
Correct
उत्तरः (c)
व्याख्याः नरसी मेहता प्रसिद्ध गुजराती संत थे, जिन्होंने राधा-कृष्ण की भक्ति की और उनके प्रेम का चित्रण गुजरात में गीतों की रचना द्वारा किया। इन्होंने ही प्रसिद्ध भजन ‘वैष्णव जन तो तेने कहिये’ की रचना की।Incorrect
उत्तरः (c)
व्याख्याः नरसी मेहता प्रसिद्ध गुजराती संत थे, जिन्होंने राधा-कृष्ण की भक्ति की और उनके प्रेम का चित्रण गुजरात में गीतों की रचना द्वारा किया। इन्होंने ही प्रसिद्ध भजन ‘वैष्णव जन तो तेने कहिये’ की रचना की। -
Question 5 of 5
5. Question
2 pointsनामपंथी, सिद्धाचर एवं योगी जनों के संदर्भ में नीचे दी गई विशेषताओं का सही कूट चुनियेः
1. इन्होंने संसार का परित्याग करने का समर्थन किया।
2. मोक्ष के लिये इन्होंने योगासन, प्राणायाम और चिंतन-मनन जैसी क्रियाओं के माध्यम से मन एवं शरीर को कठोर प्रशिक्षण देने की आवश्यकता पर बल दिया।
3. ये समूह समाज के उच्च वर्गों में बहुत लोकप्रिय हुए।
4. इनके द्वारा की गई रूढ़िवादी धर्म की आलोचना ने भक्ति मार्गीय धर्म के लिये आधार तैयार किया।
निम्न में से कौन-से कथन सत्य हैं?Correct
उत्तरः (c)
व्याख्याः केवल कथन 3 गलत है। ये समूह उच्च वर्गों में नहीं बल्कि समाज में ‘नीची’ कही जाने वाली जातियों में बहुत लोकप्रिय हुए। इनके विचार से निराकार परम सत्य का चिंतन-मनन उसके साथ एक होने की अनुभूति ही मोक्ष है।Incorrect
उत्तरः (c)
व्याख्याः केवल कथन 3 गलत है। ये समूह उच्च वर्गों में नहीं बल्कि समाज में ‘नीची’ कही जाने वाली जातियों में बहुत लोकप्रिय हुए। इनके विचार से निराकार परम सत्य का चिंतन-मनन उसके साथ एक होने की अनुभूति ही मोक्ष है।