
Quiz-summary
0 of 5 questions completed
Questions:
- 1
- 2
- 3
- 4
- 5
Information
Old NCERT is important for UPSC exam preparation. Aspirants should always start their UPSC Civil Services preparation from the basic NCERT books.
Mostly IAS toppers told that NCERT is the foundation of their exam preparation.NCERT are very important from prelims perspective.
We are Providing NCERT based quiz for your preparation. In this quiz, There will have 5 questions in each quiz. The questions are mainly framed from old NCERT class 6 to 12. This quiz is intended to introduce you to basic concepts and certain relevant to UPSC IAS civil services preliminary exam.
Hope this test will help to increase your preparation level.
You have already completed the quiz before. Hence you can not start it again.
Quiz is loading...
You must sign in or sign up to start the quiz.
You have to finish following quiz, to start this quiz:
Results
0 of 5 questions answered correctly
Your time:
Time has elapsed
You have reached 0 of 0 points, (0)
Average score |
|
Your score |
|
Categories
- Not categorized 0%
Pos. | Name | Entered on | Points | Result |
---|---|---|---|---|
Table is loading | ||||
No data available | ||||
- 1
- 2
- 3
- 4
- 5
- Answered
- Review
-
Question 1 of 5
1. Question
2 pointsनयनार एवं अलवार संतों के संदर्भ में नीचे दिये गए कथन में से कौन-सा/से सत्य है/हैं?
1. इन संतों ने संगम साहित्य में समाहित प्यार और शूरवीरता के आदर्शों को अपनाकर भक्ति के मूल्यों में उनका समावेश किया।
2. चोल और पांड्यन राजाओं ने उन अनेक धार्मिक स्थलों पर विशाल मंदिर बनवाए जहाँ इन संत-कवियों ने यात्राएँ की थी।Correct
उत्तरः (c)
व्याख्याः दोनों कथन सत्य हैं। इन संतों ने संगम साहित्य में समाहित प्यार और शूरवीरता के आदर्शों को अपनाकर भक्ति के मूल्यों में उनका समावेश किया 10वीं से 12वीं सदी के बीच चोल और पांड्यन राजाओं ने उन अनेक धार्मिक स्थलों पर मंदिर बनवा दिये जहाँ कि संत-कवियों ने यात्रा की थी। इस प्रकार भक्ति परंपरा और मंदिर पूजा के बीच गहरे संबंध स्थापित हो गए तथा यही वह समय था जब उनकी कविताओं का संकलन तैयार किया गया था।Incorrect
उत्तरः (c)
व्याख्याः दोनों कथन सत्य हैं। इन संतों ने संगम साहित्य में समाहित प्यार और शूरवीरता के आदर्शों को अपनाकर भक्ति के मूल्यों में उनका समावेश किया 10वीं से 12वीं सदी के बीच चोल और पांड्यन राजाओं ने उन अनेक धार्मिक स्थलों पर मंदिर बनवा दिये जहाँ कि संत-कवियों ने यात्रा की थी। इस प्रकार भक्ति परंपरा और मंदिर पूजा के बीच गहरे संबंध स्थापित हो गए तथा यही वह समय था जब उनकी कविताओं का संकलन तैयार किया गया था। -
Question 2 of 5
2. Question
2 points‘तेवरम्’ और ‘तिरूवाचकम्’ किनके गीतों के संकलन हैं?
Correct
उत्तरः (b)
व्याख्याः नयनार संतों के गीतों के दो संकलन हैं- तेवरम् और तिरूवाचकम्। इनमें सर्वाधिक प्रसिद्ध संत हुए हैं- अप्पार, संबंदर, सुंदरार और माणिक्कवसागर।Incorrect
उत्तरः (b)
व्याख्याः नयनार संतों के गीतों के दो संकलन हैं- तेवरम् और तिरूवाचकम्। इनमें सर्वाधिक प्रसिद्ध संत हुए हैं- अप्पार, संबंदर, सुंदरार और माणिक्कवसागर। -
Question 3 of 5
3. Question
2 pointsअलवार संतों के गीत किसमें संकलित हैं?
Correct
उत्तरः (a)
व्याख्याः अलवार संत संख्या में 12 थे। वे भिन्न-भिन्न प्रकार की पृष्ठभूमि से आए थे। उनमें सर्वाधिक प्रसिद्ध परियअलवार, उनकी पुत्री अंडाल, तोंडर डिप्पोडी और नम्मालवार थे, उनके गीत ‘दिव्य प्रबंधम्’में संकलित हैं।Incorrect
उत्तरः (a)
व्याख्याः अलवार संत संख्या में 12 थे। वे भिन्न-भिन्न प्रकार की पृष्ठभूमि से आए थे। उनमें सर्वाधिक प्रसिद्ध परियअलवार, उनकी पुत्री अंडाल, तोंडर डिप्पोडी और नम्मालवार थे, उनके गीत ‘दिव्य प्रबंधम्’में संकलित हैं। -
Question 4 of 5
4. Question
2 pointsप्रसिद्ध दार्शनिक शंकराचार्य किस सिद्धांत के समर्थक थे?
Correct
उत्तरः (c)
व्याख्याः भारत के सर्वाधिक प्रभावशाली दार्शनिकों में से एक शंकर का जन्म 8वीं शताब्दी में केरल में हुआ था। वे अद्वैतावाद के समर्थक थे, जिसके अनुसार जीवात्मा और परमात्मा दोनों एक ही हैं। उन्होंने शिक्षा दी कि ब्रह्मा, जो एकमात्र परम सत्य है, वह निर्गुण और निराकार है। शंकर ने हमारे चारों ओर के संसार को मिथ्या या माया माना। ज्ञान के मार्ग को अपनाने का उपदेश दिया।Incorrect
उत्तरः (c)
व्याख्याः भारत के सर्वाधिक प्रभावशाली दार्शनिकों में से एक शंकर का जन्म 8वीं शताब्दी में केरल में हुआ था। वे अद्वैतावाद के समर्थक थे, जिसके अनुसार जीवात्मा और परमात्मा दोनों एक ही हैं। उन्होंने शिक्षा दी कि ब्रह्मा, जो एकमात्र परम सत्य है, वह निर्गुण और निराकार है। शंकर ने हमारे चारों ओर के संसार को मिथ्या या माया माना। ज्ञान के मार्ग को अपनाने का उपदेश दिया। -
Question 5 of 5
5. Question
2 points‘विशिष्टाद्वैत’ के सिद्धांत का प्रतिपादन किसने किया?
Correct
उत्तरः (d)
व्याख्याः रामानुज ने ‘विशिष्टाद्वैत’ के सिद्धांत का प्रतिपादन किया, जिसके अनुसार आत्मा, परमात्मा से जुड़ने के बाद भी अपनी अलग सत्ता बनाए रखती है। रामानुज विष्णुभक्त अलवार संतों से बहुत प्रभावित थे। उनके अनुसार मोक्ष प्राप्त करने का उपाय विष्णु के प्रति अनन्य भक्ति भाव रखना है। रामानुज के सिद्धांत ने भक्ति की नई धारा को बहुत प्रेरित किया, जो परवर्ती काल में उत्तरी भारत में विकसित हुई।Incorrect
उत्तरः (d)
व्याख्याः रामानुज ने ‘विशिष्टाद्वैत’ के सिद्धांत का प्रतिपादन किया, जिसके अनुसार आत्मा, परमात्मा से जुड़ने के बाद भी अपनी अलग सत्ता बनाए रखती है। रामानुज विष्णुभक्त अलवार संतों से बहुत प्रभावित थे। उनके अनुसार मोक्ष प्राप्त करने का उपाय विष्णु के प्रति अनन्य भक्ति भाव रखना है। रामानुज के सिद्धांत ने भक्ति की नई धारा को बहुत प्रेरित किया, जो परवर्ती काल में उत्तरी भारत में विकसित हुई।