Old NCERT is important for UPSC exam preparation. Aspirants should always start their UPSC Civil Services preparation from the basic NCERT books.
Mostly IAS toppers told that NCERT is the foundation of their exam preparation.NCERT are very important from prelims perspective.
We are Providing NCERT based quiz for your preparation. In this quiz, There will have 5 questions in each quiz. The questions are mainly framed from old NCERT class 6 to 12. This quiz is intended to introduce you to basic concepts and certain relevant to UPSC IAS civil services preliminary exam.
Hope this test will help to increase your preparation level.
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Question 1 of 5
1. Question
2 points
समताप मंडल से संबंधित निम्नलिखित कथनों में से कौन-से कथन सत्य हैं?
1. क्षोभमंडल का ऊपर का भाग समताप मंडल कहलाता है।
2. यह परत बादलों एवं मौसम संबंधी घटनाओं से लगभग मुक्त होती है।
3. ओज़ोन गैस की परत समताप मंडल में ही होती है।
कूटः
Correct
उत्तरः (D)
व्याख्याः समताप मंडल से संबंधित दिए गए तीनों कथन सत्य हैं।
Incorrect
Question 2 of 5
2. Question
2 points
हवाई जहाज़ वायुमंडल की किस परत में उड़ते हैं?
Correct
उत्तरः (C)
व्याख्याः समताप मंडल बादलों एवं मौसम संबंधी घटनाओं से लगभग मुक्त होती है। इस कारण यहाँ की परिस्थितियाँ हवाई जहाज़ उड़ाने के लिये आदर्श होती हैं।
Incorrect
उत्तरः (C)
व्याख्याः समताप मंडल बादलों एवं मौसम संबंधी घटनाओं से लगभग मुक्त होती है। इस कारण यहाँ की परिस्थितियाँ हवाई जहाज़ उड़ाने के लिये आदर्श होती हैं।
Question 3 of 5
3. Question
2 points
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. उदासीन विलयन लाल अथवा नीले लिटमस पेपर का रंग परिवर्तित नहीं करता है।
2. हल्दी, लिटमस, गुड़हल की पंखुड़ियाँ आदि प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले सूचक हैं।
3. जब वर्षा जल में अम्ल की मात्रा अधिक होती है तो वह अम्ल वर्षा कहलाती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
Correct
उत्तरः (d)
व्याख्याः
उपर्युक्त सभी कथन सही हैं। ऐसे पदार्थ जो न तो अम्लीय होते हैं और न ही क्षारकीय, उदासीन विलयन कहलाते हैं। ये लाल अथवा नीले लिटमस पेपर (सूचक) का रंग परिवर्तित नहीं करते हैं।
कोई पदार्थ अम्लीय है अथवा क्षारीय, इसका परीक्षण करने के लिये विशेष प्रकार के पदार्थों का उपयोग किया जाता है। ये पदार्थ सूचक कहलाते हैं। हल्दी, लिटमस, गुड़हल की पंखुड़ियाँ इत्यादि प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले सूचक हैं।
जब वर्षा जल में अम्ल की मात्रा अधिक होती है तो उसे अम्ल वर्षा कहते हैं। वर्षा जल के अम्लीय होने का कारण प्रदूषक के रूप में निर्मुक्त कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी गैसें होती हैं जो वर्षा जल में घुलकर क्रमशः कार्बनिक अम्ल, सल्फ्यूरिक अम्ल और नाइट्रिक अम्ल बनाती हैं।
Incorrect
उत्तरः (d)
व्याख्याः
उपर्युक्त सभी कथन सही हैं। ऐसे पदार्थ जो न तो अम्लीय होते हैं और न ही क्षारकीय, उदासीन विलयन कहलाते हैं। ये लाल अथवा नीले लिटमस पेपर (सूचक) का रंग परिवर्तित नहीं करते हैं।
कोई पदार्थ अम्लीय है अथवा क्षारीय, इसका परीक्षण करने के लिये विशेष प्रकार के पदार्थों का उपयोग किया जाता है। ये पदार्थ सूचक कहलाते हैं। हल्दी, लिटमस, गुड़हल की पंखुड़ियाँ इत्यादि प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले सूचक हैं।
जब वर्षा जल में अम्ल की मात्रा अधिक होती है तो उसे अम्ल वर्षा कहते हैं। वर्षा जल के अम्लीय होने का कारण प्रदूषक के रूप में निर्मुक्त कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी गैसें होती हैं जो वर्षा जल में घुलकर क्रमशः कार्बनिक अम्ल, सल्फ्यूरिक अम्ल और नाइट्रिक अम्ल बनाती हैं।
Question 4 of 5
4. Question
2 points
रासायनिक ऊर्वरकों के अत्यधिक प्रयोग से मृदा पर पड़ने वाले प्रभावों और उसके उपचार के सन्दर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
1. रासायनिक उर्वरकों का अधिक प्रयोग मृदा को अम्लीय बना देता है।
2. अत्यधिक अम्लीय मृदा को उदासीन करने के लिये उसमें जैव पदार्थ मिलाए जाते हैं।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर का चयन कीजिये-
Correct
उत्तरः (a)
व्याख्याः
रासायनिक उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग मृदा को अम्लीय बना देता है। अतः कथन 1 सही है। यदि मृदा अत्यधिक अम्लीय अथवा क्षारीय हो तो पादपों की वृद्धि के लिये अच्छी नहीं होती।
अत्यधिक अम्लीय मृदा के उपचार के लिये बिना बुझा हुआ चूना(कैल्सियम ऑक्साइड) अथवा बुझा हुआ चूना (कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड) उपयोग में लाया जाता है, जबकि जैव पदार्थों का उपयोग मृदा की क्षारीयता को कम करने के लिये किया जाता है। जैव-पदार्थ मृदा में अम्ल निर्मुक्त करते हैं जो उसकी क्षारीय प्रकृति को उदासीन कर देता है। इसलिये कथन 2 गलत है।
Incorrect
उत्तरः (a)
व्याख्याः
रासायनिक उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग मृदा को अम्लीय बना देता है। अतः कथन 1 सही है। यदि मृदा अत्यधिक अम्लीय अथवा क्षारीय हो तो पादपों की वृद्धि के लिये अच्छी नहीं होती।
अत्यधिक अम्लीय मृदा के उपचार के लिये बिना बुझा हुआ चूना(कैल्सियम ऑक्साइड) अथवा बुझा हुआ चूना (कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड) उपयोग में लाया जाता है, जबकि जैव पदार्थों का उपयोग मृदा की क्षारीयता को कम करने के लिये किया जाता है। जैव-पदार्थ मृदा में अम्ल निर्मुक्त करते हैं जो उसकी क्षारीय प्रकृति को उदासीन कर देता है। इसलिये कथन 2 गलत है।
Question 5 of 5
5. Question
2 points
दिल्ली सल्तनत के संदर्भ में निम्न कथनों पर विचार कीजिये-
1. भिन्न-भिन्न आकार वाले इलाके “इक्ता” कहलाते थे।
2. इन इक्तों को संभालने वाले अधिकारी “अमीर” कहलाते थे।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
Correct
उत्तर (a)
व्याख्याः दिल्ली सल्तनत के अंतर्गत विभिन्न आकार वाले इलाके “इक्ता” कहलाते थे तथा इन इलाकों को संभालने वाले सूबेदार/अधिकारी “इक्तेदार” या मुक्ती कहे जाते थे। इनका फर्ज़ था कि ये अपने इलाके में सैन्य अभियान का नेतृत्व करें एवं कानून व्यवस्था बनाए रखें।
Incorrect
उत्तर (a)
व्याख्याः दिल्ली सल्तनत के अंतर्गत विभिन्न आकार वाले इलाके “इक्ता” कहलाते थे तथा इन इलाकों को संभालने वाले सूबेदार/अधिकारी “इक्तेदार” या मुक्ती कहे जाते थे। इनका फर्ज़ था कि ये अपने इलाके में सैन्य अभियान का नेतृत्व करें एवं कानून व्यवस्था बनाए रखें।