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Information
Old NCERT is important for UPSC exam preparation. Aspirants should always start their UPSC Civil Services preparation from the basic NCERT books.
Mostly IAS toppers told that NCERT is the foundation of their exam preparation.NCERT are very important from prelims perspective.
We are Providing NCERT based quiz for your preparation. In this quiz, There will have 5 questions in each quiz. The questions are mainly framed from old NCERT class 6 to 12. This quiz is intended to introduce you to basic concepts and certain relevant to UPSC IAS civil services preliminary exam.
Hope this test will help to increase your preparation level.
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Question 1 of 5
1. Question
2 pointsमराठों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. मराठों का दिल्ली पर शासन का सपना पानीपत की तीसरी लड़ाई में टूटा।
2. मराठा सरदार एक पेशवा के अंतर्गत एक कन्फेडरेसी (राज्यमण्डल) के सदस्य थे।
3. दूसरा आंग्ल-मराठा युद्ध सालबाई की संधि के साथ समाप्त हुआ।
4. तीसरे आंग्ल-मराठा युद्ध के बाद पेशवा को कानपुर के पास बिठूर में पेंशन पर भेज दिया गया।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?Correct
उत्तर: (c)
व्याख्याः
1761 में पानीपत की तीसरी लड़ाई अहमद शाह अब्दाली और मराठों के बीच में हार के बाद दिल्ली से देश का शासन चलाने का मराठों का सपना चूर-चूर हो गया। अतः कथन 1 सही है।
युद्ध के बाद मराठा क्षेत्रों को कई राज्यों में बाँट दिया गया। इन राज्यों की बागडोर सिंधिया, होल्कर, गायकवाड़ और भोसले जैसे राजवंशों के हाथों में थी। ये सारे सरदार एक पेशवा (सर्वोच्च मंत्री) के अंतर्गत एक कन्फेडरेसी के सदस्य थे। पेशवा इस राज्यमण्डल का सैनिक और प्रशासकीय प्रमुख होता था और पुणे में रहता था। अतः कथन 2 भी सही है।
प्रथम आंग्ल-मराठा युद्ध 1782 में सालबाई की संधि के साथ खत्म हुआ, जिसमें कोई पक्ष नहीं जीत पाया इसलिये कथन 3 गलत है। दूसरे आंग्ल-मराठा युद्ध (1803-05) के परिणामस्वरूप 1803 में देवगाँव की संधि हुई तथा उड़ीसा और यमुना के उत्तर में स्थित आगरा व दिल्ली सहित कई भू-भाग अंग्रेज़ों के कब्ज़े में आ गए।
1817-19 के तीसरे आंग्ल-मराठा युद्ध में मराठों की ताकत को पूरी तरह कुचल दिया गया तथा पेशवा को पुणे से हटाकर कानपुर के पास बिठूर में पेंशन पर भेज दिया गया। अतः कथन 4 भी सही है।Incorrect
उत्तर: (c)
व्याख्याः
1761 में पानीपत की तीसरी लड़ाई अहमद शाह अब्दाली और मराठों के बीच में हार के बाद दिल्ली से देश का शासन चलाने का मराठों का सपना चूर-चूर हो गया। अतः कथन 1 सही है।
युद्ध के बाद मराठा क्षेत्रों को कई राज्यों में बाँट दिया गया। इन राज्यों की बागडोर सिंधिया, होल्कर, गायकवाड़ और भोसले जैसे राजवंशों के हाथों में थी। ये सारे सरदार एक पेशवा (सर्वोच्च मंत्री) के अंतर्गत एक कन्फेडरेसी के सदस्य थे। पेशवा इस राज्यमण्डल का सैनिक और प्रशासकीय प्रमुख होता था और पुणे में रहता था। अतः कथन 2 भी सही है।
प्रथम आंग्ल-मराठा युद्ध 1782 में सालबाई की संधि के साथ खत्म हुआ, जिसमें कोई पक्ष नहीं जीत पाया इसलिये कथन 3 गलत है। दूसरे आंग्ल-मराठा युद्ध (1803-05) के परिणामस्वरूप 1803 में देवगाँव की संधि हुई तथा उड़ीसा और यमुना के उत्तर में स्थित आगरा व दिल्ली सहित कई भू-भाग अंग्रेज़ों के कब्ज़े में आ गए।
1817-19 के तीसरे आंग्ल-मराठा युद्ध में मराठों की ताकत को पूरी तरह कुचल दिया गया तथा पेशवा को पुणे से हटाकर कानपुर के पास बिठूर में पेंशन पर भेज दिया गया। अतः कथन 4 भी सही है। -
Question 2 of 5
2. Question
2 pointsकथन (A): कंपनी ने एक लम्बी लड़ाई के बाद अफगानिस्तान पर अपना अप्रत्यक्ष नियंत्रण स्थापित किया।
कारण (R): कंपनी को भय था कि रूस उत्तर-पश्चिमी हिस्से से भारत को अपने प्रभाव में ले सकता है।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये।Correct
उत्तर: (a)
व्याख्याः
कंपनी को भय था कि कहीं रूस का प्रभाव पूरे एशिया में फैलकर उत्तर-पश्चिम से भारत को भी अपनी चपेट में न ले ले। इसी डर के चलते अंग्रेज़ उत्तर-पश्चिमी भारत पर भी अपना नियंत्रण स्थापित करना चाहते थे।
उन्होंने 1838 से 1842 के बीच अफगानिस्तान के साथ एक लंबी लड़ाई लड़ी और वहाँ अप्रत्यक्ष कंपनी शासन स्थापित कर लिया।
1843 में सिंध भी अंग्रेज़ों के कब्ज़े में आ गया। 1839 में रणजीत सिंह की मृत्यु के बाद पंजाब से अंग्रेज़ों की दो लंबी लड़ाइयाँ हुईं और आखिरकार 1849 में अंग्रेज़ों ने पंजाब का भी अधिग्रहण कर लिया।Incorrect
उत्तर: (a)
व्याख्याः
कंपनी को भय था कि कहीं रूस का प्रभाव पूरे एशिया में फैलकर उत्तर-पश्चिम से भारत को भी अपनी चपेट में न ले ले। इसी डर के चलते अंग्रेज़ उत्तर-पश्चिमी भारत पर भी अपना नियंत्रण स्थापित करना चाहते थे।
उन्होंने 1838 से 1842 के बीच अफगानिस्तान के साथ एक लंबी लड़ाई लड़ी और वहाँ अप्रत्यक्ष कंपनी शासन स्थापित कर लिया।
1843 में सिंध भी अंग्रेज़ों के कब्ज़े में आ गया। 1839 में रणजीत सिंह की मृत्यु के बाद पंजाब से अंग्रेज़ों की दो लंबी लड़ाइयाँ हुईं और आखिरकार 1849 में अंग्रेज़ों ने पंजाब का भी अधिग्रहण कर लिया। -
Question 3 of 5
3. Question
2 pointsलार्ड डलहौजी की ‘विलय नीति’ के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. इस नीति के अंतर्गत किसी शासक जिसका कोई पुरुष वारिस नहीं है, की मृत्यु होने पर उसकी रियासत कंपनी के भू-भाग का हिस्सा बन जाती थी।
2. इस सिद्धांत के आधार पर सबसे पहले अवध का विलय किया गया।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?Correct
उत्तर: (a)
व्याख्याः
ब्रिटिश काल में अधिग्रहण की आखिरी बड़ी लहर 1848 से 1856 के बीच गवर्नर जनरल बने लॉर्ड डलहौजी के शासनकाल में चली। डलहौजी ने नई नीति अपनाई, जिसे ‘विलय नीति’ का नाम दिया गया।
इस नीति के अनुसार यदि किसी शासक की मृत्यु हो जाती है और उसका कोई पुरुष वारिस नहीं है, तो उसकी रियासत हड़प कर ली जाती थी यानी वह कंपनी के भू-भाग का हिस्सा बन जाती थी। अतः कथन 1 सही है।
इस सिद्धांत के आधार पर सबसे पहले सतारा (1848) का विलय हुआ। इसके बाद संबलपुर (1850), वर्तमान छत्तीसगढ़ का उदयपुर (1852), नागपुर (1853) और झाँसी (1854) के विलय हुए। अतः कथन 2 गलत है।
1856 में कंपनी ने अवध को अपने नियंत्रण में ले लिया तथा तर्क दिया कि वे अवध की जनता को नवाब के ‘कुशासन’ से आज़ाद कराने के लिये ‘कर्त्तव्य से बंधे’ हुए हैं इसलिये वे अवध पर कब्ज़ा करने को मज़बूर हैं।Incorrect
उत्तर: (a)
व्याख्याः
ब्रिटिश काल में अधिग्रहण की आखिरी बड़ी लहर 1848 से 1856 के बीच गवर्नर जनरल बने लॉर्ड डलहौजी के शासनकाल में चली। डलहौजी ने नई नीति अपनाई, जिसे ‘विलय नीति’ का नाम दिया गया।
इस नीति के अनुसार यदि किसी शासक की मृत्यु हो जाती है और उसका कोई पुरुष वारिस नहीं है, तो उसकी रियासत हड़प कर ली जाती थी यानी वह कंपनी के भू-भाग का हिस्सा बन जाती थी। अतः कथन 1 सही है।
इस सिद्धांत के आधार पर सबसे पहले सतारा (1848) का विलय हुआ। इसके बाद संबलपुर (1850), वर्तमान छत्तीसगढ़ का उदयपुर (1852), नागपुर (1853) और झाँसी (1854) के विलय हुए। अतः कथन 2 गलत है।
1856 में कंपनी ने अवध को अपने नियंत्रण में ले लिया तथा तर्क दिया कि वे अवध की जनता को नवाब के ‘कुशासन’ से आज़ाद कराने के लिये ‘कर्त्तव्य से बंधे’ हुए हैं इसलिये वे अवध पर कब्ज़ा करने को मज़बूर हैं। -
Question 4 of 5
4. Question
2 pointsभारत में भू-तापीय ऊर्जा संयंत्र कहाँ-कहाँ स्थित हैं?
1. लद्दाख
2. अरुणाचल प्रदेश
3. हिमाचल प्रदेश
4. गुजरात
कूटःCorrect
उत्तरः (C)
व्याख्याः ताप ऊर्जा जो पृथ्वी से प्राप्त की जाती है, भूतापीय ऊर्जा कहलाती है। पृथ्वी के अंदर गहराई बढ़ने के साथ तापमान में लगातार वृद्धि होती जाती है। कभी-कभी यह तापीय ऊर्जा भू-सतह पर गर्म जल के झरनों के रूप में प्रकट हो सकती है। भारत में भूतापीय ऊर्जा संयंत्र हिमाचल प्रदेश में मणिकरण और लद्दाख में पूगाघाटी में स्थित हैं।Incorrect
उत्तरः (C)
व्याख्याः ताप ऊर्जा जो पृथ्वी से प्राप्त की जाती है, भूतापीय ऊर्जा कहलाती है। पृथ्वी के अंदर गहराई बढ़ने के साथ तापमान में लगातार वृद्धि होती जाती है। कभी-कभी यह तापीय ऊर्जा भू-सतह पर गर्म जल के झरनों के रूप में प्रकट हो सकती है। भारत में भूतापीय ऊर्जा संयंत्र हिमाचल प्रदेश में मणिकरण और लद्दाख में पूगाघाटी में स्थित हैं। -
Question 5 of 5
5. Question
2 pointsबायोगैस के संदर्भ में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः
1. बायोगैस संयंत्र में जैविक अपशिष्ट का बैक्टीरिया के द्वारा अपघटन होता है।
2. बायोगैस, मिथेन और ऑक्सीजन गैस का मिश्रण है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
उत्तरः (A)
व्याख्याः जैविक अपशिष्ट जैसे मृत पौधे और जंतुओं के अवशेष, पशुओं के गोबर, रसोई के अपशिष्ट को ईंधन में बदला जाता है, इसे बायोगैस कहते हैं। जैविक अपशिष्ट बैक्टीरिया द्वारा बायोगैस संयंत्र में अपघटित होते हैं जो कि अनिवार्य रूप से मिथेन और कार्बनडाईआक्साइड का मिश्रण है।Incorrect
उत्तरः (A)
व्याख्याः जैविक अपशिष्ट जैसे मृत पौधे और जंतुओं के अवशेष, पशुओं के गोबर, रसोई के अपशिष्ट को ईंधन में बदला जाता है, इसे बायोगैस कहते हैं। जैविक अपशिष्ट बैक्टीरिया द्वारा बायोगैस संयंत्र में अपघटित होते हैं जो कि अनिवार्य रूप से मिथेन और कार्बनडाईआक्साइड का मिश्रण है।