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Information
Old NCERT is important for UPSC exam preparation. Aspirants should always start their UPSC Civil Services preparation from the basic NCERT books.
Mostly IAS toppers told that NCERT is the foundation of their exam preparation.NCERT are very important from prelims perspective.
We are Providing NCERT based quiz for your preparation. In this quiz, There will have 5 questions in each quiz. The questions are mainly framed from old NCERT class 6 to 12. This quiz is intended to introduce you to basic concepts and certain relevant to UPSC IAS civil services preliminary exam.
Hope this test will help to increase your preparation level.
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Question 1 of 5
1. Question
2 pointsमुगल स्थापत्य कला के अंतर्गत चारबाग शैली के संदर्भ में निम्न कथनों पर विचार कीजिये-
1. चारबाग बनाने की परंपरा हुमायूँ के समय से शुरू हुई।
2. चार समान हिस्सों में बँटे होने के कारण बागों को चारबाग कहा जाता है।
3. कश्मीर में अवस्थित शालीमार बाग सीढ़ीदार चारबाग का एक सुन्दर उदाहरण है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?Correct
उत्तरः (c)
व्याख्याः पहला कथन असत्य है क्योंकि चारबाग बनाने की परंपरा अकबर के समय से शुरू हुई थी। अकबर के आरंभिक शासनकाल में निर्मित भवनों में हुमायूँ का मकबरा सबसे महत्त्वपूर्ण है। इसी मकबरे में चारबाग पद्धति का सबसे पहले उपयोग किया गया था तथा बाग चार समान हिस्सों में बँटे होने के कारण ही चारबाग कहलाते थे।Incorrect
उत्तरः (c)
व्याख्याः पहला कथन असत्य है क्योंकि चारबाग बनाने की परंपरा अकबर के समय से शुरू हुई थी। अकबर के आरंभिक शासनकाल में निर्मित भवनों में हुमायूँ का मकबरा सबसे महत्त्वपूर्ण है। इसी मकबरे में चारबाग पद्धति का सबसे पहले उपयोग किया गया था तथा बाग चार समान हिस्सों में बँटे होने के कारण ही चारबाग कहलाते थे। -
Question 2 of 5
2. Question
2 pointsशाहजहाँ के शासनकाल में चिहिल सुतुन अथवा चालीस खंभों का सभा भवन किसे कहा जाता था?
Correct
उत्तरः (b)
व्याख्याः दीवाने-ए-आम और दीवाने-खास (व्यक्तिगत और सार्वजनिक सभा हेतु समारोह कक्षों) की निर्माण की योजना शाहजहाँ ने बड़ी ही सावधानीपूर्वक बनाई थी। एक विशाल आंगन में स्थित ये दरबार चिहिल सुतुन अथवा चालीस खंभों के सभा भवन कहलाते थे।Incorrect
उत्तरः (b)
व्याख्याः दीवाने-ए-आम और दीवाने-खास (व्यक्तिगत और सार्वजनिक सभा हेतु समारोह कक्षों) की निर्माण की योजना शाहजहाँ ने बड़ी ही सावधानीपूर्वक बनाई थी। एक विशाल आंगन में स्थित ये दरबार चिहिल सुतुन अथवा चालीस खंभों के सभा भवन कहलाते थे। -
Question 3 of 5
3. Question
2 points‘वेल्ड’ घास के मैदान के संदर्भ में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः
1. इसके पश्चिम में कालाहारी मरुस्थल स्थित है।
2. ज़ायरे एवं इसकी सहायक नदियाँ इस प्रदेश को सिंचित करती हैं।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
उत्तरः (a)
व्याख्याः केवल कथन 1 सत्य है। दक्षिण अफ्रीका के शीतोष्ण घास स्थल को वेल्ड कहते हैं तथा इसके पश्चिम में कालाहारी मरुस्थल स्थित है।
ऑरेंज एवं लिम्पोपो की सहायक नदियाँ इस प्रदेश को सिंचित करती हैं। अतः कथन 2 गलत है।Incorrect
उत्तरः (a)
व्याख्याः केवल कथन 1 सत्य है। दक्षिण अफ्रीका के शीतोष्ण घास स्थल को वेल्ड कहते हैं तथा इसके पश्चिम में कालाहारी मरुस्थल स्थित है।
ऑरेंज एवं लिम्पोपो की सहायक नदियाँ इस प्रदेश को सिंचित करती हैं। अतः कथन 2 गलत है। -
Question 4 of 5
4. Question
2 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. ‘मरूद्यान’ रेगिस्तान का वह क्षेत्र होता है जहाँ बड़ी मात्रा में पशुपालन किया जाता है।
2. रेगिस्तान के वे क्षेत्र जहाँ जल सतह पर आ जाता है वहाँ मरूद्यान बनते हैं तथा ये क्षेत्र उपजाऊ होते हैं।
3. रेगिस्तान के आसपास का वह उपजाऊ क्षेत्र जो रेगिस्तान के फैलाव की चपेट में आ जाता है। ऐसे क्षेत्रों को मरूद्यान कहते हैं।
4. रेगिस्तान का वह क्षेत्र जहाँ बजरी के मैदान एवं नग्न चट्टानी सतह वाले उत्थित पठार पाए जाते हैं इनको मरूद्यान कहते हैं।
उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन मरूद्यान को सही तरीके से परिभाषित करता/करते है/हैं?Correct
उत्तरः (C)
व्याख्याः जब रेगिस्तान की रेत को पवन उड़ा ले जाती है तो वहाँ गर्त बन जाती है। जहाँ गर्त में भूमिगत जल सतह पर आ जाता है वहाँ मरूद्यान बनते हैं। ये क्षेत्र उपजाऊ होते हैं। लोग इनके आसपास निवास करते हैं एवं खजूर के पेड़ तथा अन्य फसलें उगाते हैं।Incorrect
उत्तरः (C)
व्याख्याः जब रेगिस्तान की रेत को पवन उड़ा ले जाती है तो वहाँ गर्त बन जाती है। जहाँ गर्त में भूमिगत जल सतह पर आ जाता है वहाँ मरूद्यान बनते हैं। ये क्षेत्र उपजाऊ होते हैं। लोग इनके आसपास निवास करते हैं एवं खजूर के पेड़ तथा अन्य फसलें उगाते हैं। -
Question 5 of 5
5. Question
2 pointsपादपों में परागण के सन्दर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. परागण के अन्तर्गत परागकणों का स्थानांतरण परागकोश से पुष्प के वर्तिकाग्र पर होता है।
2. जहाँ स्व-परागण के अन्तर्गत परागकणों का स्थानांतरण परागकोश से उसी पादप के किसी अन्य पुष्प के वर्तिकाग्र पर होता है वहीं पर-परागण में परागकणों का स्थानांतरण उसी प्रकार के किसी अन्य पादप पुष्प के वर्तिकाग्र पर होता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?Correct
उत्तरः (a)
व्याख्याः
कथन 1 सही है। पुष्पों में उपस्थित परागकण हल्के होते हैं जो वायु, जल अथवा कीटों द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान तथा एक पुष्प से दूसरे पुष्प पर ले जाए जाते हैं। इन परागकणों का परागकोश से पुष्प के वर्तिकाग्र पर स्थानांतरण परागण कहलाता है।
यदि परागकण उसी पुष्प के वर्तिकाग्र पर गिरते हैं, तो इसे स्व-परागकण कहते हैं परन्तु जब पुष्प के परागकण उसी पादप के किसी अन्य पुष्प अथवा उसी प्रकार के दूसरे पादप के किसी पुष्प के वार्तिकाग्र पर गिरते हैं, तो इसे पर-परागण कहते हैं। अतः कथन 2 गलत है।Incorrect
उत्तरः (a)
व्याख्याः
कथन 1 सही है। पुष्पों में उपस्थित परागकण हल्के होते हैं जो वायु, जल अथवा कीटों द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान तथा एक पुष्प से दूसरे पुष्प पर ले जाए जाते हैं। इन परागकणों का परागकोश से पुष्प के वर्तिकाग्र पर स्थानांतरण परागण कहलाता है।
यदि परागकण उसी पुष्प के वर्तिकाग्र पर गिरते हैं, तो इसे स्व-परागकण कहते हैं परन्तु जब पुष्प के परागकण उसी पादप के किसी अन्य पुष्प अथवा उसी प्रकार के दूसरे पादप के किसी पुष्प के वार्तिकाग्र पर गिरते हैं, तो इसे पर-परागण कहते हैं। अतः कथन 2 गलत है।