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Information
Old NCERT is important for UPSC exam preparation. Aspirants should always start their UPSC Civil Services preparation from the basic NCERT books.
Mostly IAS toppers told that NCERT is the foundation of their exam preparation.NCERT are very important from prelims perspective.
We are Providing NCERT based quiz for your preparation. In this quiz, There will have 5 questions in each quiz. The questions are mainly framed from old NCERT class 6 to 12. This quiz is intended to introduce you to basic concepts and certain relevant to UPSC IAS civil services preliminary exam.
Hope this test will help to increase your preparation level.
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Question 1 of 5
1. Question
2 pointsसूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिये तथा सूचियों के नीचे दिये गए कूट से सही उत्तर चुनियेः
सूची-I (आश्रम व्यवस्था) सूची-II (उद्देश्य) A. ब्रह्मचर्य 1. विवाह कर गृहस्थ के रूप में रहना B. गृहस्थ 2. जंगल में रहकर साधना C. वानप्रस्थ 3. सब कुछ त्यागकर सन्यासी बन जाना D. सन्यास 4. सादा जीवन बिताकर वेदों का अध्ययन करना कूटः A B C D
Correct
उत्तरः (b)
व्याख्याःआश्रम व्यवस्था के अंतर्गत चार आश्रमों की व्यवस्था की गई थी- ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और सन्यास।
ब्रह्मचर्य के अंतर्गत ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य से यह अपेक्षा की जाती थी कि इस चरण के दौरान वे सादा जीवन बिताकर वेदों का अध्ययन करेंगे।
गृहस्थ आश्रम के अंतर्गत उन्हें विवाह कर एक गृहस्थ के रूप में रहना होता था। वानप्रस्थ के अंतर्गत उन्हें जंगल में रहकर साधना करनी थी। अंततः उन्हें सब कुछ त्यागकर सन्यासी बन जाना था।Incorrect
उत्तरः (b)
व्याख्याःआश्रम व्यवस्था के अंतर्गत चार आश्रमों की व्यवस्था की गई थी- ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और सन्यास।
ब्रह्मचर्य के अंतर्गत ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य से यह अपेक्षा की जाती थी कि इस चरण के दौरान वे सादा जीवन बिताकर वेदों का अध्ययन करेंगे।
गृहस्थ आश्रम के अंतर्गत उन्हें विवाह कर एक गृहस्थ के रूप में रहना होता था। वानप्रस्थ के अंतर्गत उन्हें जंगल में रहकर साधना करनी थी। अंततः उन्हें सब कुछ त्यागकर सन्यासी बन जाना था। -
Question 2 of 5
2. Question
2 pointsनिम्नलिखित कथनों में से कौन-सा कथन सही नहीं है?
Correct
उत्तरः (d)
व्याख्याः उपर्युक्त कथन (a), (b) व (c) सही हैं, परंतु (d) गलत है। जैन धर्म की वर्तमान में उपलब्ध शिक्षाओं का लेखन 1500 वर्ष पूर्व गुजरात के वल्लभी नामक स्थान पर हुआ था।Incorrect
उत्तरः (d)
व्याख्याः उपर्युक्त कथन (a), (b) व (c) सही हैं, परंतु (d) गलत है। जैन धर्म की वर्तमान में उपलब्ध शिक्षाओं का लेखन 1500 वर्ष पूर्व गुजरात के वल्लभी नामक स्थान पर हुआ था। -
Question 3 of 5
3. Question
2 pointsजैन नाम से जाने गए महावीर अनुयायियों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
1. उन्हें भोजन के लिये भिक्षा मांगकर सादा जीवन बिताना होता था।
2. उन्हें पूरी तरह ईमानदारी से रहने तथा चोरी न करने की सख्त हिदायत थी।
3. उन्हें ब्रह्मचर्य का पालन करना होता था। पुरुषों को वस्त्रों सहित सब कुछ त्याग देना पड़ता था।
उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
उत्तरः (d)
व्याख्याः उपरोक्त सभी कथन सत्य हैं। इन्हीं कारणों से अधिकांश व्यक्तियों के लिये ऐसे कड़े नियमों का पालन कठिन था। फिर भी हज़ारों व्यक्तियों ने नई जीवन शैली को जानने और सीखने के लिये अपने घरों को छोड़ दिया।Incorrect
उत्तरः (d)
व्याख्याः उपरोक्त सभी कथन सत्य हैं। इन्हीं कारणों से अधिकांश व्यक्तियों के लिये ऐसे कड़े नियमों का पालन कठिन था। फिर भी हज़ारों व्यक्तियों ने नई जीवन शैली को जानने और सीखने के लिये अपने घरों को छोड़ दिया। -
Question 4 of 5
4. Question
2 pointsभारत के किस याम्योत्तर (देशांतर) रेखा को भारत का स्थानीय समय माना जाता है?
Correct
उत्तरः (a)
व्याख्याःभारत में गुजरात के द्वारका तथा असम के डिब्रूगढ़ के स्थानीय समय में लगभग 2 घंटे का अंतर होता है। इसलिये यह आवश्यक था कि देश के मध्य भाग से होकर गुजरने वाली किसी याम्योत्तर के स्थानीय समय को देश का मानक समय माना जाए।
भारत में 83½° पूर्व (82° 30′ पू.) को मानक याम्योत्तर माना गया है जो इलाहाबाद के नैनी के पास से होकर गुजरता है।Incorrect
उत्तरः (a)
व्याख्याःभारत में गुजरात के द्वारका तथा असम के डिब्रूगढ़ के स्थानीय समय में लगभग 2 घंटे का अंतर होता है। इसलिये यह आवश्यक था कि देश के मध्य भाग से होकर गुजरने वाली किसी याम्योत्तर के स्थानीय समय को देश का मानक समय माना जाए।
भारत में 83½° पूर्व (82° 30′ पू.) को मानक याम्योत्तर माना गया है जो इलाहाबाद के नैनी के पास से होकर गुजरता है। -
Question 5 of 5
5. Question
2 pointsसूची-I तथा सूची-II को सुमेलित कीजिये तथा सूचियों के नीचे दिये गए कूट का उपयोग करते हुए सही उत्तर का चयन कीजियेः
सूची-I (सन्धि) सूची-II (विशेषता) A. धुराग्र सन्धि (Pivotal Joint) 1. सभी दिशाओं में गति प्रदान करने वाली सन्धि B. अचल सन्धि (Fixed Joint) 2. गर्दन और सिर को जोड़ने वाली सन्धि C. कंदुक-खल्लिका संधि(Ball and socket joint) 3. एक दिशा में गति करने वाली सन्धि D. हिंज संधि (Hinge Joint) 4. गति न करने वाली सन्धि कूटः A B C D
Correct
उत्तरः (d)
व्याख्याःअस्थि (Bone) एवं उपास्थि (Cartilage) मानव कंकाल बनाते हैं। कंकाल शरीर को आकृति देता है। ये चलने में सहायक है और आंतरिक अंगों की सुरक्षा करता है। मानव कंकाल खोपड़ी, मेरुदंड, पसलियों, वक्ष की अस्थि, कंधे एवं श्रोणि मेखला तथा हाथ-पाँव की अस्थियों से बनता है। मानव कंकाल में विभिन्न संधियाँ होती हैं।
गर्दन और सिर को जोड़ने वाली संधि को धुराग्र संधि कहते हैं। धुराग्र संधि में बेलनाकार अस्थि एक छल्ले में घूमती है।
अस्थियों के बीच की कुछ संधियाँ ऐसी भी हैं जो गति नहीं कर सकतीं (हिल नहीं सकती), ये अचल सन्धि कहलाती हैं। ऊपरी जबड़े एवं कपाल के मध्य अचल संधि हैं।
कंदुक-खल्लिका संधि (बॉल एण्ड सॉकेट ज्वाइन्ट) कन्धे और कूल्हे की संधियाँ होती हैं। ये सभी दिशाओं में गति करती हैं।
हिंज संधि कोहनी और घुटने की संधियों में होती है। ये एक ही दिशा में गति प्रदान करती है।
कंकाल के कुछ अतिरिक्त अंग भी हैं जो हड्डियों जितने कठोर नहीं हैं जिन्हें मोड़ा जा सकता है, उन्हें उपास्थि कहते हैं, उदाहरण- कान की अस्थि। शरीर की संधियों में भी उपास्थि पाई जाती है।Incorrect
उत्तरः (d)
व्याख्याःअस्थि (Bone) एवं उपास्थि (Cartilage) मानव कंकाल बनाते हैं। कंकाल शरीर को आकृति देता है। ये चलने में सहायक है और आंतरिक अंगों की सुरक्षा करता है। मानव कंकाल खोपड़ी, मेरुदंड, पसलियों, वक्ष की अस्थि, कंधे एवं श्रोणि मेखला तथा हाथ-पाँव की अस्थियों से बनता है। मानव कंकाल में विभिन्न संधियाँ होती हैं।
गर्दन और सिर को जोड़ने वाली संधि को धुराग्र संधि कहते हैं। धुराग्र संधि में बेलनाकार अस्थि एक छल्ले में घूमती है।
अस्थियों के बीच की कुछ संधियाँ ऐसी भी हैं जो गति नहीं कर सकतीं (हिल नहीं सकती), ये अचल सन्धि कहलाती हैं। ऊपरी जबड़े एवं कपाल के मध्य अचल संधि हैं।
कंदुक-खल्लिका संधि (बॉल एण्ड सॉकेट ज्वाइन्ट) कन्धे और कूल्हे की संधियाँ होती हैं। ये सभी दिशाओं में गति करती हैं।
हिंज संधि कोहनी और घुटने की संधियों में होती है। ये एक ही दिशा में गति प्रदान करती है।
कंकाल के कुछ अतिरिक्त अंग भी हैं जो हड्डियों जितने कठोर नहीं हैं जिन्हें मोड़ा जा सकता है, उन्हें उपास्थि कहते हैं, उदाहरण- कान की अस्थि। शरीर की संधियों में भी उपास्थि पाई जाती है।