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Information
Old NCERT is important for UPSC exam preparation. Aspirants should always start their UPSC Civil Services preparation from the basic NCERT books.
Mostly IAS toppers told that NCERT is the foundation of their exam preparation.NCERT are very important from prelims perspective.
We are Providing NCERT based quiz for your preparation. In this quiz, There will have 5 questions in each quiz. The questions are mainly framed from old NCERT class 6 to 12. This quiz is intended to introduce you to basic concepts and certain relevant to UPSC IAS civil services preliminary exam.
Hope this test will help to increase your preparation level.
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Question 1 of 5
1. Question
2 pointsबंगाली साहित्य के संदर्भ में नीचे दिये गए कथनों में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
1. बंगाली के प्रारंभिक साहित्य को दो श्रेणियों में बाँटा जा सकता है- एक श्रेणी संस्कृत की ऋणी है तथा दूसरी स्वतंत्र है।
2. बंगाली साहित्य की पहली श्रेणी के ग्रंथों का काल-निर्धारण सही-सही नहीं किया जा सकता है, जबकि दूसरी श्रेणी के ग्रंथों का काल-निर्धारण करना अपेक्षाकृत सरल है।Correct
उत्तरः (b)
व्याख्याः कथन 1 सत्य है। बंगाली के प्रारंभिक साहित्य को दो श्रेणियों में बाँटा जा सकता है। पहली श्रेणी में संस्कृत महाकाव्यों के अनुवाद ‘मंगलकाव्य’ और भक्ति साहित्य जैसे गौड़ीय-वैष्णव आंदोलन के नेता श्री चैतन्य देव की जीवनियाँ आदि शामिल हैं। दूसरी श्रेणी में नाथ साहित्य शामिल है। जैसे गोपीचंद्र के गीत, धर्म ठाकुर की पूजा से संबंधित कहानियाँ, परीकथाएँ, लोककथाएँ और गाथा गीत।कथन 2 गलत है क्योंकि पहली श्रेणी के ग्रंथों का काल-निर्धारण करना अपेक्षाकृत सरल है, क्योंकि ऐसी अनेक पाण्डुलिपियाँ पाई गई हैं, जिनमें इंगित किया गया है कि उनकी रचना किस कालावधि में किया गया है। जबकि दूसरी श्रेणी की कृतियाँ मौखिक रूप से कही-सुनी जाती थी। इसलिये उनका काल-निर्धारण सही-सही नहीं किया जा सकता है। वे खासकर पूर्वी बंगाल में लोकप्रिय थी, जहाँ ब्राह्मणों का प्रभाव अपेक्षाकृत कम था।
Incorrect
उत्तरः (b)
व्याख्याः कथन 1 सत्य है। बंगाली के प्रारंभिक साहित्य को दो श्रेणियों में बाँटा जा सकता है। पहली श्रेणी में संस्कृत महाकाव्यों के अनुवाद ‘मंगलकाव्य’ और भक्ति साहित्य जैसे गौड़ीय-वैष्णव आंदोलन के नेता श्री चैतन्य देव की जीवनियाँ आदि शामिल हैं। दूसरी श्रेणी में नाथ साहित्य शामिल है। जैसे गोपीचंद्र के गीत, धर्म ठाकुर की पूजा से संबंधित कहानियाँ, परीकथाएँ, लोककथाएँ और गाथा गीत।कथन 2 गलत है क्योंकि पहली श्रेणी के ग्रंथों का काल-निर्धारण करना अपेक्षाकृत सरल है, क्योंकि ऐसी अनेक पाण्डुलिपियाँ पाई गई हैं, जिनमें इंगित किया गया है कि उनकी रचना किस कालावधि में किया गया है। जबकि दूसरी श्रेणी की कृतियाँ मौखिक रूप से कही-सुनी जाती थी। इसलिये उनका काल-निर्धारण सही-सही नहीं किया जा सकता है। वे खासकर पूर्वी बंगाल में लोकप्रिय थी, जहाँ ब्राह्मणों का प्रभाव अपेक्षाकृत कम था।
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Question 2 of 5
2. Question
2 pointsबंगाल के संदर्भ में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः
1. 16वीं शताब्दी में बंगाल पर मुगलों का नियंत्रण स्थापित होने पर उन्होंने कलकत्ता को अपनी राजधानी बनाई।
2. मुगल अधिकारी और कर्मचारी लोग भूमि प्राप्त करके अक्सर उस पर मस्जिदें बना लेते थे, जो इन इलाकों के धार्मिक रूपांतरण के केंद्रों के रूप में काम आती थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
उत्तरः (b)
व्याख्याः कथन 1 गलत है। बंगाल पर मुगलों का नियंत्रण स्थापित होने पर इन्होंने पूर्वी डेल्टा प्रदेश के केंद्रीय भाग में स्थित ढाका नगर में अपनी राजधानी स्थापित की तथा प्रशासन की भाषा फारसी रखी।Incorrect
उत्तरः (b)
व्याख्याः कथन 1 गलत है। बंगाल पर मुगलों का नियंत्रण स्थापित होने पर इन्होंने पूर्वी डेल्टा प्रदेश के केंद्रीय भाग में स्थित ढाका नगर में अपनी राजधानी स्थापित की तथा प्रशासन की भाषा फारसी रखी। -
Question 3 of 5
3. Question
2 pointsबंगाल में पीर श्रेणी में कौन-कौन लोग शामिल थे?
Correct
उत्तरः (d)
व्याख्याः पीर फारसी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है- आध्यात्मिक मार्गदर्शक। प्रारंभ में बाहर से आकर बंगाल में बसने वाले लोग यहाँ की अस्थिर परिस्थितियों में रहने के लिये कुछ व्यवस्था तथा आश्वासन चाहते थे। ये सुख-सुविधाएँ तथा आश्वासन उन्हें समुदाय के नेताओं ने प्रदान कीं। ये नेता शिक्षकों और निर्णायकों की भूमिकाएँ भी अदा करते थे। कभी-कभी ऐसा समझा जाता था कि इन नेताओं के पास अलौकिक शक्तियाँ हैं। स्नेह और आदर से लोग इन्हें पीर कहते थे। इस पीर श्रेणी में संत, सूफी और अन्य धार्मिक महानुभाव, साहसी उपनिवेशी, देवत्व प्राप्त सैनिक एवं योद्धा, विभिन्न हिन्दू तथा बौद्ध देवी-देवता यहाँ तक की जीवात्माएँ भी शामिल थे। पीरों की पूजा पद्धतियाँ बहुत ही लोकप्रिय हो गईं और उनकी मजारें बंगाल में सर्वत्र पाई जाती हैं।Incorrect
उत्तरः (d)
व्याख्याः पीर फारसी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है- आध्यात्मिक मार्गदर्शक। प्रारंभ में बाहर से आकर बंगाल में बसने वाले लोग यहाँ की अस्थिर परिस्थितियों में रहने के लिये कुछ व्यवस्था तथा आश्वासन चाहते थे। ये सुख-सुविधाएँ तथा आश्वासन उन्हें समुदाय के नेताओं ने प्रदान कीं। ये नेता शिक्षकों और निर्णायकों की भूमिकाएँ भी अदा करते थे। कभी-कभी ऐसा समझा जाता था कि इन नेताओं के पास अलौकिक शक्तियाँ हैं। स्नेह और आदर से लोग इन्हें पीर कहते थे। इस पीर श्रेणी में संत, सूफी और अन्य धार्मिक महानुभाव, साहसी उपनिवेशी, देवत्व प्राप्त सैनिक एवं योद्धा, विभिन्न हिन्दू तथा बौद्ध देवी-देवता यहाँ तक की जीवात्माएँ भी शामिल थे। पीरों की पूजा पद्धतियाँ बहुत ही लोकप्रिय हो गईं और उनकी मजारें बंगाल में सर्वत्र पाई जाती हैं। -
Question 4 of 5
4. Question
2 points‘दोचाला’ और ‘चौचाला’ स्थापत्य कला शैली का संबंध किस क्षेत्र से है?
Correct
उत्तरः (d)
व्याख्याः बंगाल में मंदिरों की शक्ल या आकृति बंगाल की छप्पर झोपड़ियों की तरह ‘दोचाला’(दो छतों वाली) या ‘चौचाला’(चार छतों वाली) होती थी। इसके कारण मंदिरों की स्थापत्य कला में विशिष्ट बंगाली शैली का प्रादुर्भाव हुआ।Incorrect
उत्तरः (d)
व्याख्याः बंगाल में मंदिरों की शक्ल या आकृति बंगाल की छप्पर झोपड़ियों की तरह ‘दोचाला’(दो छतों वाली) या ‘चौचाला’(चार छतों वाली) होती थी। इसके कारण मंदिरों की स्थापत्य कला में विशिष्ट बंगाली शैली का प्रादुर्भाव हुआ। -
Question 5 of 5
5. Question
2 pointsनीचे दिये गए कथन एवं कारणों पर विचार कीजियेः
कथनः बंगाल में स्थानीय देवी-देवता जो पहले गाँवों में छान-छप्पर वाली झोपड़ियों में पूजे जाते थे। 18वीं-19वीं सदी में उनकी प्रतिमाएँ मंदिर में स्थापित की जाने लगीं।
कारणः 18वीं-19वीं सदी में बंगाल के गाँवों के स्थानीय लोगों ने मंदिर बनाने की शैली सीख ली।
कूट :Correct
उत्तरः (c)
व्याख्याः कथन सही है एवं कारण गलत है। बंगाल में यूरोप की व्यापारिक कंपनियों के आ जाने से नए आर्थिक अवसर पैदा हुए। जिस कारण ‘निम्न’ सामाजिक समूहों, जैसे- कालू (तेली), केसरी (धातु घंटा के कारीगर) ने इन अवसरों का लाभ उठाया। जैसे-जैसे लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति सुधरती गई, उन्होंने विभिन्न स्मारकों के निर्माण के माध्यम से अपनी प्रतिष्ठा की घोषणा कर दी। जो स्थानीय देवी-देवता पहले गाँवों में छान-छप्पर वाली झोपड़ियों में पूजे जाते थे, को ब्राह्मणों के द्वारा मान्यता प्रदान कर दी गई तो उनकी प्रतिमाएँ मंदिरों में स्थापित की जाने लगीं। इन मंदिरों की शक्ल या आकृति बंगाल की झोपड़ियों की तरह दोचाला (दो छतों वाली) या चौचाला (चार छतों वाली) होती थी।Incorrect
उत्तरः (c)
व्याख्याः कथन सही है एवं कारण गलत है। बंगाल में यूरोप की व्यापारिक कंपनियों के आ जाने से नए आर्थिक अवसर पैदा हुए। जिस कारण ‘निम्न’ सामाजिक समूहों, जैसे- कालू (तेली), केसरी (धातु घंटा के कारीगर) ने इन अवसरों का लाभ उठाया। जैसे-जैसे लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति सुधरती गई, उन्होंने विभिन्न स्मारकों के निर्माण के माध्यम से अपनी प्रतिष्ठा की घोषणा कर दी। जो स्थानीय देवी-देवता पहले गाँवों में छान-छप्पर वाली झोपड़ियों में पूजे जाते थे, को ब्राह्मणों के द्वारा मान्यता प्रदान कर दी गई तो उनकी प्रतिमाएँ मंदिरों में स्थापित की जाने लगीं। इन मंदिरों की शक्ल या आकृति बंगाल की झोपड़ियों की तरह दोचाला (दो छतों वाली) या चौचाला (चार छतों वाली) होती थी।