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Information
Old NCERT is important for UPSC exam preparation. Aspirants should always start their UPSC Civil Services preparation from the basic NCERT books.
Mostly IAS toppers told that NCERT is the foundation of their exam preparation.NCERT are very important from prelims perspective.
We are Providing NCERT based quiz for your preparation. In this quiz, There will have 5 questions in each quiz. The questions are mainly framed from old NCERT class 6 to 12. This quiz is intended to introduce you to basic concepts and certain relevant to UPSC IAS civil services preliminary exam.
Hope this test will help to increase your preparation level.
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Question 1 of 5
1. Question
2 pointsचोल, चेर तथा पांड्य शासकों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. पुहार और मदुरै इनके महत्त्वपूर्ण सत्ता केन्द्रों में सम्मिलित थे।
2. ये लोगों से नियमित कर के बजाय उपहारों की मांग करते थे।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?Correct
उत्तरः (c)
व्याख्याःउपर्युक्त दोनों कथन सही हैं। चोल, चेर और पांड्य के अपने-अपने दो-दो सत्ता केन्द्र थे। इनमें से एक तटीय हिस्से में और दूसरा अंदरूनी हिस्से में था। इन छः केन्द्रों में से दो बहुत महत्त्वपूर्ण थे। एक था चोलों का पत्तन पुहार या कावेरीपत्तनम् और दूसरी थी पांड्यों की राजधानी मदुरै।
ये तीनों मुखिया (चोल, चेर, पांड्य) लोगों से नियमित कर के बजाय उपहारों की मांग करते थे। कभी-कभी सैनिक अभियानों के दौरान आस-पास के इलाकों से शुल्क वसूल करते थे। इनमें कुछ धन अपने पास रखते थे, बाकी अपने समर्थकों, नाते-रिश्तेदारों, सिपाहियों तथा कवियों के बीच बाँट देते थे।Incorrect
उत्तरः (c)
व्याख्याःउपर्युक्त दोनों कथन सही हैं। चोल, चेर और पांड्य के अपने-अपने दो-दो सत्ता केन्द्र थे। इनमें से एक तटीय हिस्से में और दूसरा अंदरूनी हिस्से में था। इन छः केन्द्रों में से दो बहुत महत्त्वपूर्ण थे। एक था चोलों का पत्तन पुहार या कावेरीपत्तनम् और दूसरी थी पांड्यों की राजधानी मदुरै।
ये तीनों मुखिया (चोल, चेर, पांड्य) लोगों से नियमित कर के बजाय उपहारों की मांग करते थे। कभी-कभी सैनिक अभियानों के दौरान आस-पास के इलाकों से शुल्क वसूल करते थे। इनमें कुछ धन अपने पास रखते थे, बाकी अपने समर्थकों, नाते-रिश्तेदारों, सिपाहियों तथा कवियों के बीच बाँट देते थे। -
Question 2 of 5
2. Question
2 points‘दक्षिणापथ के स्वामी’ निम्नलिखित में से कौन कहे जाते थे?
Correct
उत्तरः (a)
व्याख्याः तीनों मुखियाओं (चोल, चेर, पांड्य) के शासन के लगभग 200 वर्ष बाद (2100 वर्ष पूर्व) पश्चिम भारत में सातवाहन नामक राजवंश का प्रभाव बढ़ गया। सातवाहनों का सबसे प्रमुख राजा गौतमी पुत्र श्री सातकर्णी था। उसके बारे में हमें उसकी माँ, गौतमी बलश्री के एक अभिलेख से पता चलता है। वह और अन्य सभी सातवाहन शासक ‘दक्षिणापथ के स्वामी’ कहे जाते थे। दक्षिणापथ का शाब्दिक अर्थ दक्षिण की ओर जाने वाला रास्ता होता है। पूरे क्षेत्र के लिये यही नाम प्रचलित था।Incorrect
उत्तरः (a)
व्याख्याः तीनों मुखियाओं (चोल, चेर, पांड्य) के शासन के लगभग 200 वर्ष बाद (2100 वर्ष पूर्व) पश्चिम भारत में सातवाहन नामक राजवंश का प्रभाव बढ़ गया। सातवाहनों का सबसे प्रमुख राजा गौतमी पुत्र श्री सातकर्णी था। उसके बारे में हमें उसकी माँ, गौतमी बलश्री के एक अभिलेख से पता चलता है। वह और अन्य सभी सातवाहन शासक ‘दक्षिणापथ के स्वामी’ कहे जाते थे। दक्षिणापथ का शाब्दिक अर्थ दक्षिण की ओर जाने वाला रास्ता होता है। पूरे क्षेत्र के लिये यही नाम प्रचलित था। -
Question 3 of 5
3. Question
2 pointsरेशम बनाने की तकनीक का अविष्कार सबसे पहले कहाँ हुआ?
Correct
उत्तरः (d)
व्याख्याःरेशम बनाने की तकनीक का अविष्कार सबसे पहले चीन में लगभग 7000 वर्ष पूर्व हुआ। इस तकनीक को हज़ारों साल तक उन्होंने दुनिया से छिपाए रखा।
चीन से पैदल, घोड़ों या ऊँटों पर कुछ लोग दूर-दूर की जगहों पर जाते थे और अपने साथ रेशम के कपड़े भी ले जाते थे। जिस रास्ते से ये लोग यात्रा करते थे वह रेशम मार्ग (सिल्क रूट) के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
कभी-कभी चीन के शासक ईरान और पश्चिमी एशिया के शासकों को उपहार के तौर पर रेशमी कपड़े भेजते थे। यहाँ से रेशम के बारे में जानकारी और भी पश्चिम की ओर फैल गई। लगभग 2000 वर्ष पूर्व रोम के शासकों और धनी लोगों के बीच रेशमी कपड़े पहनने का एक फैशन बन गया। इसकी कीमत बहुत ज़्यादा थी क्योंकि चीन से इसे लाने में दुर्गम रास्तों से गुज़रना पड़ता था तथा रास्ते के आस-पास रहने वाले लोग व्यापारियों से यात्रा शुल्क भी मांगते थे।Incorrect
उत्तरः (d)
व्याख्याःरेशम बनाने की तकनीक का अविष्कार सबसे पहले चीन में लगभग 7000 वर्ष पूर्व हुआ। इस तकनीक को हज़ारों साल तक उन्होंने दुनिया से छिपाए रखा।
चीन से पैदल, घोड़ों या ऊँटों पर कुछ लोग दूर-दूर की जगहों पर जाते थे और अपने साथ रेशम के कपड़े भी ले जाते थे। जिस रास्ते से ये लोग यात्रा करते थे वह रेशम मार्ग (सिल्क रूट) के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
कभी-कभी चीन के शासक ईरान और पश्चिमी एशिया के शासकों को उपहार के तौर पर रेशमी कपड़े भेजते थे। यहाँ से रेशम के बारे में जानकारी और भी पश्चिम की ओर फैल गई। लगभग 2000 वर्ष पूर्व रोम के शासकों और धनी लोगों के बीच रेशमी कपड़े पहनने का एक फैशन बन गया। इसकी कीमत बहुत ज़्यादा थी क्योंकि चीन से इसे लाने में दुर्गम रास्तों से गुज़रना पड़ता था तथा रास्ते के आस-पास रहने वाले लोग व्यापारियों से यात्रा शुल्क भी मांगते थे। -
Question 4 of 5
4. Question
2 pointsमौर्योत्तर काल में बौद्ध धर्म की नई धारा महायान का विकास हुआ। इस नई बौद्ध धारा में आए नए परिवर्तनों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. पहले, मूर्तियों में बुद्ध की उपस्थिति संकेतात्मक रूप से दर्शाई जाती थी, पर अब बुद्ध की प्रतिमाएँ बनाई जाने लगी।
2. बोधिसत्व में आस्था को लेकर परिवर्तन आया।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?Correct
उत्तरः (c)
व्याख्याःदोनों कथन सही हैं। महायान धारा में प्रविष्ट मूर्ति निर्माण के बदलाव के तहत अब बुद्ध की प्रतिमाएँ बनाई जाने लगीं। इनमें से अधिकांश मथुरा में तो कुछ तक्षशिला में बनाई गईं।
बोधिसत्व उन्हें कहते हैं जो ज्ञान प्राप्ति के बाद एकांतवास करते हुए ध्यान साधना कर सकते थे। इस आस्था में परिवर्तन हुआ अब ऐसा करने के बजाय महायानी लोगों को शिक्षा देने और मदद करने के लिये सांसारिक परिवेश में ही रहना ठीक समझने लगे।
धीरे-धीरे बोधिसत्व की पूजा काफी लोकप्रिय हो गई और पूरे मध्य एशिया, चीन और बाद में कोरिया तथा जापान तक भी फैल गई।Incorrect
उत्तरः (c)
व्याख्याःदोनों कथन सही हैं। महायान धारा में प्रविष्ट मूर्ति निर्माण के बदलाव के तहत अब बुद्ध की प्रतिमाएँ बनाई जाने लगीं। इनमें से अधिकांश मथुरा में तो कुछ तक्षशिला में बनाई गईं।
बोधिसत्व उन्हें कहते हैं जो ज्ञान प्राप्ति के बाद एकांतवास करते हुए ध्यान साधना कर सकते थे। इस आस्था में परिवर्तन हुआ अब ऐसा करने के बजाय महायानी लोगों को शिक्षा देने और मदद करने के लिये सांसारिक परिवेश में ही रहना ठीक समझने लगे।
धीरे-धीरे बोधिसत्व की पूजा काफी लोकप्रिय हो गई और पूरे मध्य एशिया, चीन और बाद में कोरिया तथा जापान तक भी फैल गई। -
Question 5 of 5
5. Question
2 pointsहरिषेण द्वारा वर्णित विभिन्न प्रकार के राजाओं और उनके प्रति समुद्रगुप्त की नीतियों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक सही नहीं है?
Correct
उत्तरः (b)
व्याख्याःकथन (a), (c) व (d) सही हैं, परंतु (b) गलत है क्योंकि दक्षिणापथ के 12 राजाओं ने हारने के बाद समुद्रगुप्त के सामने समर्पण किया था। समुद्रगुप्त ने उन्हें फिर से शासन करने की अनुमति दे दी।
समुद्रगुप्त के राज्य के पड़ोसी देशों में असम, तटीय बंगाल, नेपाल और उत्तर-पश्चिम के कई गण या संघ आते थे। ये आंतरिक राज्यों के एक घेरे के रूप में समुद्रगुप्त के राज्य से लगे थे। ये समुद्रगुप्त के लिये उपहार लाते थे, उनकी आज्ञा मानते थे तथा उनके दरबार में उपस्थित हुआ करते थे।
बाह्य इलाके सम्भवतः कुषाण तथा शक वंश के थे। इसमें श्रीलंका के शासक भी थे। इन्होंने समुद्रगुप्त की अधीनता स्वीकार की और अपनी पुत्रियों का विवाह उससे किया।Incorrect
उत्तरः (b)
व्याख्याःकथन (a), (c) व (d) सही हैं, परंतु (b) गलत है क्योंकि दक्षिणापथ के 12 राजाओं ने हारने के बाद समुद्रगुप्त के सामने समर्पण किया था। समुद्रगुप्त ने उन्हें फिर से शासन करने की अनुमति दे दी।
समुद्रगुप्त के राज्य के पड़ोसी देशों में असम, तटीय बंगाल, नेपाल और उत्तर-पश्चिम के कई गण या संघ आते थे। ये आंतरिक राज्यों के एक घेरे के रूप में समुद्रगुप्त के राज्य से लगे थे। ये समुद्रगुप्त के लिये उपहार लाते थे, उनकी आज्ञा मानते थे तथा उनके दरबार में उपस्थित हुआ करते थे।
बाह्य इलाके सम्भवतः कुषाण तथा शक वंश के थे। इसमें श्रीलंका के शासक भी थे। इन्होंने समुद्रगुप्त की अधीनता स्वीकार की और अपनी पुत्रियों का विवाह उससे किया।
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