7वीं भारत-अमेरिका आर्थिक एवं वित्तीय भागीदारी बैठक का का संयुक्त वक्तव्य

आज यहां 7वीं भारत-अमेरिका आर्थिक एवं वित्तीय भागीदारी वार्ता के समापन के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य का पूरा पाठ निम्नलिखित है।

आर्थिक एवं वित्तीय भागीदारी (ईएफपी) की सातवीं बैठक 1 नवंबर, 2019 को नई दिल्ली में भारत गणराज्य के वित्त मंत्रालय और संयुक्त राज्य अमेरिका के ट्रेजरी विभाग के बीच आयोजित की गई।

भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व श्रीमती निर्मला सीतारमण, वित्त मंत्री, भारत सरकार और अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व श्री स्टीवन मेनुचिन, ट्रेजरी सेक्रेटरी, यूएस ने किया।

भारत-अमेरिका आर्थिक एवं वित्‍तीय भागीदारी की सातवीं बैठक का अर्थ दोनों देशों के बीच आर्थिक साझेदारी को एक ढांचे के रूप में मजबूती देने, हमारे आर्थिक संबंधों के बढ़ते महत्व और दोनों देशों के बीच पहले से ही मौजूद महत्वपूर्ण व्यापारिक एवं सांस्कृतिक संबंधों को आगे बढ़ाने और आर्थिक विकास के लिए समर्थन एवं सहयोग में सुधार लाने के लिए तमाम क्षेत्रों में काम को आगे बढ़ाने से है। ईएफपी की इस बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने वैश्विक, अमेरिका और भारतीय आर्थिक दृष्टिकोण, वैश्विक ऋण स्थिरता, वित्तीय क्षेत्र में सुधार, पूंजी प्रवाह एवं निवेश का लाभ उठाने और काले धन को सफेद करने और आतंकवाद के वित्तपोषण (एएमएल/ सीएफटी) से निपटने जैसे कई मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया।

भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका ने आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए नीतियों पर चर्चा की और भारत ने वित्तीय क्षेत्र को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक पुनर्पूंजीकरण और कुछ राज्य के स्वामित्व वाले बैंकों के विलय की योजना शामिल है। दोनों पक्षों ने पूंजी प्रवाह, निवेश संवर्धन से संबंधित मुद्दों और बाहरी आर्थिक वातावरण पर भी चर्चा की।

दोनों पक्ष जी-20 एवं अन्य मंचों पर द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय दोनों मामले में वैश्विक आर्थिक मुद्दों पर व्‍यापक आर्थिक सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। सऊदी अरब की जी-20 की अध्‍यक्षता के तहत भारत और अमेरिका वैश्विक विकास संबंधी चुनौतियों का सामना करने के लिए आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए तत्पर हैं। भारत 2022 में G-20 बैठक की अध्‍यक्षता करने के लिए तैयार है और संयुक्त राज्य अमेरिका एक सफल एवं केंद्रित अध्‍यक्षता की मेजबानी में भारत का समर्थन करने के लिए तैयार है।

हाल ही में हमारे संबंधित वित्तीय नियामकीय अधिकारियों ने वित्तीय विनियामक वार्ता में वित्तीय नियामक विकास पर भी चर्चा की है। संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत ने हाल ही में बीमा क्षेत्र के विनियमन से संबंधित जानकारी के सहयोग, समन्वय, परामर्श और विनिमय के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। दोनों पक्ष डेटा स्थानीयकरण से संबंधित मुद्दों पर चल रही चर्चा के लिए तत्पर हैं।

संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत ने आर्थिक विकास का समर्थन करने के लिए विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के महत्व को पहचाना और अधिक विदेशी पोर्टफोलियो निवेश के लिए राह आसान बनाने के तरीकों और भारत के सकारात्मक कदमों पर चर्चा की। दोनों पक्षों ने हमारे देशों के बीच बढ़ते द्विपक्षीय प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का स्वागत किया और सभी प्रकार के निवेशकों के लिए अपने निवेश माहौल में सुधार के लिए भारत के महत्व को रेखांकित किया। ये निवेश दोनों देशों के लिए विकास को बढ़ावा देने में मदद करेंगे।

दोनों पक्ष भारत के बुनियादी ढांचे की जरूरतों को पूरा करने के लिए निजी क्षेत्र के निवेश को आकर्षित करने और दोनों देशों में वृद्धि को रफ्तार देने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। भारत ने भारतीय बुनियादी ढांचे में निजी संस्थागत निवेश को प्रोत्‍साहित करने के लिए राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा एवं निवेश कोष (एनआईआईएफ) की स्थापना की है जिसके लिए संयुक्त राज्य अमेरिका ने तकनीकी सहायता प्रदान की है। संयुक्त राज्य अमेरिका ने सरकार के स्मार्ट शहरों की पहल का समर्थन करने के लिए स्थानीय बुनियादी ढांचे की जरूरतों को पूरा करने के लिए 2017 में भारतीय शहर पुणे को सफलतापूर्वक नगरपालिका बॉन्‍ड लॉन्च करने में मदद की। भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका तकनीकी सहायता सहित नगरपालिका बॉन्‍ड जारी करने के लिए अन्‍य तमाम शहरों को तैयार करने के लिए एक साथ काम करने और भारत के बुनियादी ढांचे में संस्थागत निवेश के लिए व्यापक संबंध रखने के लिए तत्पर हैं।

दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय विकास ऋण में पारदर्शिता लाने और ऋण स्थिरता पर अधिक ध्यान देने के महत्व पर ध्यान दिया। भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के बहुप्रचारित दृष्टिकोण और जी-20 एवं अन्य समूहों के प्रयास सहित ऋण स्थिरता एवं पारदर्शिता में सुधार लाने के लिए वैश्विक प्रयासों का समर्थन करते हैं। वर्ष 2019 में भारत पेरिस क्‍लब के काम में सहयोग करने के लिए स्वेच्छा से एक पर्यवेक्षक के तौर पर उसमें शामिल है।

हाल में दोनों पक्षों ने एक ऐसी व्यवस्था पर हस्ताक्षर किए जाने की सराहना की जो उच्च स्तर के मूल्‍य हस्तांतरण जोखिम के मूल्यांकन के उद्देश्यों के लिए स्वचालित तरीके से विभिन्‍न देशों में रिपोर्टों के आदान-प्रदान को सक्षम बनाती है। दोनों पक्षों ने हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय कर विवादों को सुलझाने के लिए महत्वपूर्ण प्रगति पर गौर किया। साथ ही कर विवादों को रोकने के लिए चल रहे प्रयासों और मौजूदा आपसी सहमति प्रक्रिया एवं द्विपक्षीय अग्रिम मूल्य समझौता संबंध के जरिये करदाताओं के लिए अनिश्चितता दूर करने के लिए जारी प्रयासों की सराहना की।

भारत और अमेरिका ने अंतर-सरकारी समझौते के तहत विदेशी खाता कर अनुपालन अधिनियम (एफएटीसीए) के तहत दोनों देशों के बीच वित्तीय खाता जानकारी साझा करने में हुई प्रगति पर ध्यान दिया और दोनों पक्षों को एक साथ काम करने के लिए प्रोत्साहित किया ताकि पारस्परिक लाभ के लिए डेटा की उपयोगिता एवं गुणवत्ता में सुधार हो सके। दोनों पक्ष विदेशी कर चोरी से निपटने के लिए सहयोग और अनुभव साझा करना जारी रखेंगे।

भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका काले धन को सफेद करने से निपटने और आतंकवाद के वित्त पोषण (एएमएल / सीएफटी) से निपटने में आपसी सहयोग को जारी रखेंगे। समय के साथ-साथ हमारे संबंध मजबूत हुए हैं क्योंकि दोनों पक्षों ने साझा चिंता के एएमएल/ सीएफटी मुद्दों पर हमारे द्विपक्षीय संबंध के लिए एक समग्र दृष्टिकोण विकसित किया है। हमारा सहयोग केवल सूचनाओंके आदान-प्रदात तक सीमित नहीं है बल्कि उसमें वैश्विक आतंकवाद वित्त पोषण से मुकाबला करने, विशिष्ट आतंकवादी समर्थकों एवं फाइनेंसरों के पदनाम का समर्थन करने, एएमएल/ सीएफटी पर समन्वय और एएमएल/ सीएफटी के लिए फाइनैंशियल एक्‍शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की वैश्विक मानकों की अखंडता को बनाए रखना शामिल है। भारत ने इसका अनुपालन न करने वाले देशों के खिलाफ कार्रवाई के लिए अपने समर्थन का प्रदर्शन किया है। इसके अलावा, भारत और अमेरिका संबंधित अवैध वित्तीय जोखिम को कम करने के लिए एएमएल/ सीएफटी ढांचे को विकसित करने की दिशा में काम करना जारी रखेंगे।

दोनों पक्ष आर्थिक एवं वित्तीय भागीदारी की पिछली बैठक के बाद हुए घटनाक्रमों से प्रोत्साहित हैं। साथ ही हम हमारे द्विपक्षीय संबंधों, हमारी अर्थव्यवस्थाओं और हमारी आर्थिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए लगातार जुड़े रहने के लिए तत्पर हैं।

इस पर 1 नवंबर 2019 को नई दिल्ली में हस्ताक्षर किए गए।

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