
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, श्री नरेंद्र सिंह तोमर और केंद्रीय रासायनिक एवं उर्वरक मंत्री, डी. वी. सदानंद गौड़ा ने नई दिल्ली के पूसा में संयुक्त रूप से उर्वरक अनुप्रयोग जागरूकता कार्यक्रम का उद्घाटन किया
विभिन्न मापदंडों के आधार पर उर्वरक पोषकों का आदर्श उपयोग करके कृषि उत्पादकता को बनाए रखने के लिए किसानों के बीच ज्ञान का प्रसार करने और उन्हें उर्वरक का उपयोग और प्रबंधन के क्षेत्र में नई उन्नतियों से अवगत कराने के लिए, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, श्री नरेंद्र सिंह तोमर और केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री, श्री डी. वी. सदानंद गौड़ा ने आज नई दिल्ली के पूसा में संयुक्त रूप से वर्ष में दो बार होने वाले उर्वरक अनुप्रयोग जागरूकता कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम का आयोजन प्रत्येक वर्ष दोनों मंत्रालयों द्वारा संयुक्त रूप से राज्य सरकारों की मदद से खरीफ और रबी फसल के सत्र से पहले किया जाता है।
बड़ी संख्या में उपस्थित किसानों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए, केंद्रीय कृषि मंत्री श्री तोमर ने कहा कि आज पूसा में मौजूद हजारों किसानों के लिए और देश भर के 714 कृषि विज्ञान केंद्रों में इस कार्यक्रम को लाइव देख रहे लोगों के लिए एक ऐतिहासिक दिन है क्योंकि यह विषय बहुत ही प्रासंगिक है और यह सभी नागरिकों के जीवन को जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि 2014 में जब प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कार्यभार संभाला है, तब से उनका प्रयास गांव, गरीब और किसान के विकास और उनकी बेहतरी के लिए समर्पित रहा है। श्री तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी सिर्फ इस बारे में नहीं सोचते हैं कि उनकी बेहतरी के लिए कैसे नीतियां बनाई जा सकती हैं बल्कि वे यह भी सोचते हैं कि गांव, गरीब और किसान की उत्पादकता, उत्पादन और पशुधन में सुधार कैसे किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी अपने प्रयासों को, अपनी सरकार तथा सभी अधिकारियों के साथ इस दिशा में समर्पित करते हैं।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि भारत के किसानों को मजबूत और समृद्ध होना चाहिए और भूमि संसाधनों का उपयोग इस तरीके से किया जाना चाहिए जिससे कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी इसका उपयोग सुनिश्चित किया जा सके। श्री तोमर ने आगे कहा कि वर्तमान समय में हमारे सकल घरेलू उत्पाद या जीडीपी में कृषि का योगदान 14% है, लेकिन इस क्षेत्र बहुत अधिक संभावनाएं हैं और इसे आगे बढ़ाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारत की आबादी का 50% हिस्सा अपने भरण-पोषण के लिए कृषि पर निर्भर करता है, लेकिन सभी लोगों की खाद्य जरूरतें इसपर ही निर्भर हैं, इसलिए उत्पादकता, उत्पादन और स्थिरता को और अधिक बेहतर बनाने की जरूरत है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मिट्टी को उर्वरकों, सूक्ष्म पोषकों और रसायनों की संतुलित मात्रा में जरूरत होती है और इसका बहुत अधिक मात्रा में प्रयोग करने से यह भूमि को खराब कर सकती है और इसलिए इसका उपयोग बेहतर तरीके से किया जाना चाहिए।
केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री, श्री डी. वी. सदानंद गौड़ा ने अपने संबोधन में सभी किसानों का स्वागत किया और कहा कि हालांकि उनकी हिंदी बहुत अच्छी नहीं है, लेकिन वे पहली बार हिंदी में सभी को संबोधित करने का प्रयास करेंगे। श्री गौड़ा ने कहा कि कृषि, ग्रामीण भारत की आजीविका का मुख्य आधार बनी हुई है और देश में खाद्यान्न उत्पादन की आवश्यकता को पूरा करने के लिए कृषि के लिए उर्वरक सबसे महत्वपूर्ण साधन हैं। श्री गौड़ा ने मिट्टी के समुचित संरक्षण पर जोर दिया क्योंकि यह भोजन, पोषण, पर्यावरण और आजीविका सुरक्षा के लक्ष्यों को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने मिट्टी की स्थिरता में सुधार लाने के लिए मिट्टी का संरक्षण और प्रबंधन करने का आग्रह किया।
केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री ने यूरिया और पोषक तत्वों पर आधारित विभिन्न सब्सिडियों का भी उल्लेख किया, जो भारत सरकार द्वारा फास्फेटिक और पोटैसिक उर्वरकों पर दी जा रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जस्ता और बोरान जैसे सूक्ष्म पोषकों की कमी को दूर करने के उद्देश्य से, जस्ता और बोरान से लेपित उर्वरकों पर एक अतिरिक्त सब्सिडी प्रदान की जा रही है। श्री गौड़ा ने आईसीएआर संस्थानों और कृषि विश्वविद्यालयों के साथ-साथ विभिन्न विभागों से कृषि उत्पादकता को बढ़ाने और बनाए रखने में योगदान देने का आग्रह किया।
श्री पुरुषोत्तम रूपाला, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री ने किसानों के बीच उर्वरकों के सही उपयोग करने की जागरूकता फैलाने के लिए एक मंच प्रदान करने वाली पहल की सराहना की। मंत्री ने पूरे देश में किसानों के फायदे के लिए विभिन्न प्रकार के कृषि-केंद्रित वृत्तचित्रों और फिल्मों को स्थानीय और क्षेत्रीय भाषाओं में डब/ अनुवाद करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इस पहल से किसानों को ज्यादा प्रभावी तरीके से मदद मिलेगा।
भारतीय कृषि के संदर्भ में कई मुद्दे हैं, जिनका संबंध उर्वरक के उपयोग के साथ सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है। इस संदर्भ में तकनीकी सत्र के दौरान जिन उर्वरकों के उपयोग पर चर्चा की गई थी, उनमें से कुछ प्रमुख प्लांट न्यूट्रिएंट्स के उपयोग में असंतुलन के बारे में है, यानि की एन, पी और के; मिट्टी (सूक्ष्म पोषक) द्वारा आवश्यक एन-पी-के अलावा किसी अन्य पोषक तत्वों के उपयोग और कमी के बारे में जागरूकता का नहीं होना; उर्वरक के उपयोग में मिट्टी की प्रतिक्रिया का घटता हुआ अनुपात (उर्वरकों की अक्षमता); सिंगल सुपर फास्फेट जैसे कम विश्लेषण वाले उर्वरकों का कृषि-विज्ञान में महत्व; नए प्रकार के उर्वरकों का विकास जैसे द्रव्य उर्वरक, विशेष यौगिक, जैव-उर्वरक, धीमा-निकलने वाला उर्वरक, आदि; जलवायु क्षेत्रों, मिट्टी के प्रकारों, उर्वरकों का उपयोग और मात्रा की विधि और फसलों के लिए उपयुक्तता; कृषि की दीर्घकालीन स्थिरता; और प्रत्येक फसल के लिए सही मात्रा में और सही प्रकार के खाद को प्राप्त करने के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड का उपयोग।