भारत जल सप्ताह -2019 के उद्घाटन सत्र के अवसर पर राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद का संबोधन

Inauguration of India Water Week-2019

मैं छठे भारत जल सप्ताह-2019 का उद्घाटन करते हुए बहुत खुश हूँ। इस समारोह में देश और विदेश के प्रतिनिधि और हितकारक बड़ी संख्या में भाग ले रहे हैं। मुझे विश्वास है कि आप सब सार्थक चर्चा में शामिल होंगे और भारत में जल संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए प्रभावी विचारों और नवाचारी समाधानों का पता लगाने में मदद करेंगे।

देवियों और सज्जनों,

मैं आप सभी के सामने एक प्रश्न रखता हूँ। क्या हम जल के बिना जीवन की कल्पना कर सकते हैं? हम सब यही कहेंगे ‘नहीं’। हमारे वेदों में पानी के महत्व पर प्रकाश डाला गया है। मैं यजुर्वेद के कुछ शब्दों को उद्धृत करता हूँ –

आपो हिष्ठा मयो भुवः,

स्था न ऊर्जे दधातन……

यो वः शिवतमो रसः।

मोटे तौर पर, इसका अनुवाद इस प्रकार है : जल पृथ्वी पर जीवनदाता है। यह ऊर्जा का एक बड़ा स्रोत है। यह सबसे लाभदायक अमृत है।

सदियों से बड़ी-बड़ी नदियों के किनारे महान सभ्यताओं और शहरों का विकास हुआ है। चाहे वो सिंधु घाटी हो, मिस्र या चीन की सभ्यताएं हों या वाराणसी, मदुरै, पैरिस या मॉस्को शहर हों। यह सभी शहर नदियों के किनारे ही विकसित हुए हैं। जहाँ जल था वहीं मानवता पनपी और अस्तित्व में रही है। वर्तमान समय में हम मानव चांद जितने दूरस्थ स्थान पर जल की खोज कर रहे हैं और दूसरी ओर हम अपने ही ग्रह पर जल संसाधनों का संरक्षण करने में लापरवाही बरत रहे हैं। जब एक बच्चा पैदा होता है तो माता-पिता उसके भविष्य की योजना बनाने की शुरूआत कर देते हैं। हम बच्चों की शिक्षा और अन्य जरूरतों के लिए बचत शुरू कर देते हैं। पर हम कभी इस बारे में नहीं सोचते हैं कि हमारे बच्चों को जीवित रहने के लिए ताजे व स्वच्छ जल की भी जरूरत पड़ेगी। हमें अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए जल संरक्षण को प्राथमिकता देने की जरूरत है। इसके लिए पूरी दुनिया में अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। भारत जल सप्ताह भी ऐसा ही एक उल्लेखनीय प्रयास है।
भारत जल सप्ताह के इस संस्करण का विषय है “जल सहयोग – 21वीं सदी की चुनौतियों से निपटना”। वास्तव में इसके लिए विभिन्न हितधारकों के बीच सहयोग महत्वपूर्ण है। तभी हम जल से संबंधित चुनौतियों का प्रभावी रूप से सामना कर सकते हैं। जल के मुद्दे बहुत बहुआयामी हैं और केवल सरकार या एक देश के लिए इनका समाधान करना बहुत जटिल कार्य है। सभी देशों और उनके जल समुदायों को सभी के लिए जल सतत् भविष्य बनाने में मदद करने के लिए मिलजुल कर काम करना होगा।

अनुसंधानों से पता चला है कि दुनिया की लगभग 40 प्रतिशत आबादी जल की कमी वाले क्षेत्रों में रहती है। जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संबंधित चिंताओं ने सुरक्षित और स्वच्छ पेयजल के प्रावधान को और अधिक चुनौतीपूर्ण बना दिया है। इन चुनौतियों के बावजूद मुझे यह जानकर खुशी है कि भारत सरकार ने अपने नागरिकों के लिए सुरक्षित स्वच्छ पेयजल के प्रावधान को अपने प्राथमिक लक्ष्यों में शामिल करने का प्रावधान किया है।

बेहतर जल प्रशासन और बेहतर स्वच्छता स्थितियों को सुनिश्चित करने के लिए, सरकार ने जल और स्वच्छता से जुड़े कई विभागों को जल शक्ति के एक नए एकीकृत मंत्रालय में मिला दिया। अब, यह मंत्रालय जल-संबंधी सभी मुद्दों के लिए एक एकल-खिड़की प्रणाली प्रदान करेगा, जो त्वरित और प्रभावी समाधान सुनिश्चित करेगा।

देवियो और सज्जनो,

मैं जल जीवन मिशन की परिकल्पना के लिए भी सरकार की सराहना करता हूं, जो 2024 तक हर ग्रामीण घर में पानी की आपूर्ति करने की योजना बना रहा है। यह एक साहसिक और महत्वाकांक्षी मिशन है, क्योंकि वर्तमान में भारत में केवल 18 प्रतिशत ग्रामीण घरों में पाइप द्वारा जलापूर्ति होती है। यह मिशन स्थानीय स्तर पर एकीकृत मांग और पानी के आपूर्ति प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करेगा। यह वर्षा जल संचयन, भूजल पुनर्भरण और घरेलू अपशिष्ट जल के प्रबंधन के लिए आधारभूत संरचना तैयार करेगा। मुझे विश्वास है कि लोगों की व्यापक भागीदारी से, सरकार इस मिशन के लक्ष्य को प्राप्त करने में सक्षम होगी।

पानी हमारे किसानों के लिए और टिकाऊ कृषि के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन है। प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना, जो 2015 में शुरू की गई थी, इस क्षेत्र के लिए एक बड़ी पहल है। यह देशव्यापी योजना देश में सिंचित क्षेत्र को बढ़ाने के लिए लागू की जा रही है। हमारे जल संरक्षण लक्ष्यों के अनुरूप, यह योजना “प्रति बूंद – अधिक फसल” सुनिश्चित करने के लिए समुचित सिंचाई और पानी की बचत तकनीकों को अपनाने की भी परिकल्पना करती है। हम अक्सर अपने “कार्बन-फुटप्रिंट” को कम करने की बात करते हैं। यह समय है जब हम अपने “वाटर-फुटप्रिंट” को कम करने की बात करते हैं। हमारे किसानों, कॉर्पोरेट नेताओं और सरकारी निकायों को विभिन्न फसलों और उद्योगों के “वाटर-फुटप्रिंट” पर सक्रिय रूप से विचार करने की आवश्यकता है। हमें ऐसी कृषि और औद्योगिक प्रथाओं को प्रोत्साहित करने की जरूरत है, जिनमें कम से कम पानी की आवश्यकता हो।

भूजल संसाधनों का प्रबंधन और मानचित्रण भी जल प्रशासन का एक महत्वपूर्ण पहलू है। बोरिंग मशीनों के व्यापक उपयोग के कारण भू-जल का अनियमित और अत्यधिक दोहन हुआ है। हमें अपने भू-जल को महत्व देना होगा और जिम्मेदार होना होगा। इसके अलावा, हमें अपने भू-जल संसाधनों का दस्तावेजीकरण करने की आवश्यकता है। मुझे बताया गया है कि हमारे नेशनल एक्विफर मैपिंग प्रोग्राम के तहत, हमने अब तक एक मिलियन वर्ग किलो मीटर से अधिक की मैपिंग की है, जबकि मार्च 2021 तक अतिरिक्त 1.5 मिलियन की मैपिंग की जाएगी।

हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारा कीमती वर्षा जल बर्बाद न हो। हमें अपने मौजूदा जलाशयों, बांधों, अन्य जल निकायों का उपयोग करके और अपने घरों और आस-पड़ोस में जल संचयन उपायों को अपनाकर वर्षा जल को संग्रहित करने और पकड़ने की आवश्यकता है। हमारे कई राज्यों में पानी की कमी और सूखे की स्थिति को प्रभावी वर्षा जल संचयन के साथ बहुत कम किया जा सकता है।

देवियो और सज्जनो,

भारत कई नदियों से समृद्ध है। ये नदियाँ हमारे जीवन और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं। हम उनकी पूजा करते हैं और हम उन्हें उच्च सम्मान देते हैं। फिर भी, आज हमारी नदियाँ प्रदूषित हैं। यह समय है कि हम उन्हें फिर से जीवंत करें।

यहाँ, मुझे ‘राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन’ शुरू करने के लिए भारत सरकार की सराहना करनी चाहिए। इस मिशन में गंगा के अविरल और अविरल प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए कई परियोजनाएं शामिल हैं। मैं कानपुर में पला-बढ़ा और गंगा नदी से जुड़ी कई यादें हैं, जिन्हें हम अपनी मां मानते हैं। मैं व्यक्तिगत रूप से एक स्वच्छ गंगा के दृष्टिकोण से जुड़ा हुआ हूं। पिछले साल एक कार्यक्रम में भाग लेने के दौरान, नागरिकों और संगठनों, दोनों को इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए संकल्पित होने के लिए प्रेरित किया गया था। गंगा और हमारी अन्य नदियों को स्वच्छ बनाना केवल सरकार का मिशन नहीं हो सकता है। यह हमारा सामूहिक प्रयास और हमारा सामूहिक संकल्प होना चाहिए।

हमें नागरिकों के रूप में इस प्रयोजन में अपनी ओर से अवश्‍य योगदान करना चाहिए। उदाहरण के लिए, हमने हाल ही में गणेश चतुर्थी मनाई है और कुछ ही दिनों में नवरात्र शुरू होने वाले हैं। हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि नदियों में विसर्जित की जाने वाली मूर्तियां पर्यावरण अनुकूल सामग्री से बनी हों। इससे नदियों को स्‍वच्‍छ रखने में मदद मिलेगी और इसके साथ ही समुद्री जीवों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

देवियों एवं सज्‍जनों,

आज से कुछ दिनों बाद 2 अक्‍टूबर को हम महात्‍मा गांधी की 150वीं जयंती मनाएंगे। यह स्‍वच्‍छ भारत अभियान की आधिकारिक पूर्णता को भी रेखांकित करेगा। पिछले पांच वर्षों के दौरान समाज के सभी तबकों के लोगों के साथ-साथ उन संगठनों ने भी स्‍वच्‍छ भारत अभियान में अपनी ओर से सहभागिता की है, जिन्‍होंने इसकी जिम्‍मेदारी लेने के साथ-साथ इसे अपना निजी मिशन बना दिया। मुझे इसी हॉल में इस महीने के आरंभ में स्‍वच्‍छ महोत्‍सव 2019 के दौरान कुछ कर्मठ स्‍वच्‍छता कार्यकर्ताओं का अभिनंदन करने में अत्‍यंत प्रसन्‍नता महसूस हुई। अब हमने लगभग पूर्ण स्‍वच्‍छता कवरेज हासिल कर ली है और देश खुले में शौच मुक्‍त बनने की राह पर अत्‍यंत तेजी से अग्रसर है। हमें जल शक्ति अभियान के लिए भी ठीक इसी तरह के समर्पण और प्रतिबद्धता की आवश्‍यकता है।

केन्‍द्र एवं राज्‍य सरकारें देश भर में फैले सर्वाधिक जल संकट वाले प्रखंडों और जिलों में जल संरक्षण से जुड़े कार्यों को पूरा करने के लिए पहले से ही मिल-जुलकर प्रयास कर रही हैं। वर्षा जल के संचयन और पारम्‍परिक जल स्‍थलों की बहाली एवं पुनरुत्‍थान सहित जल संरक्षण पर फोकस करने की योजना बनाई जा रही। मैं देश भर में जल संरक्षण के लिए कार्यरत अनेक गैर-सरकारी संगठनों की सराहना करता हूं। ऐसे अनेक तकनीकी-उद्य‍मी हैं, जो देश में जल प्रबंधन को बेहतर करने के लिए अभिनव तकनीकी समाधान विकसित एवं कार्यान्वित कर रहे हैं। मुझे पूरा विश्‍वास है कि जल शक्ति मंत्रालय प्रत्‍येक नागरिक को जल उपलब्‍धता सुनिश्चित करने के कार्य को एक जन आंदोलन में तब्‍दील करने के लिए सभी हितधारकों के साथ साझेदारियां करेगा और मिल-जुलकर आवश्‍यक कदम उठाएगा।

जहां एक ओर हम जल संबंधी विभिन्‍न मुद्दों को सुलझाने के लिए आवश्‍यक समाधान ढूंढ़ने में जुटे हुए हैं, वहीं दूसरी ओर हमें जल संरक्षण की सदियों पुरानी विधियों की भी अनदेखी नहीं करनी चाहिए। आधुनिक प्रौद्योगिकियों और पारम्‍पारिक ज्ञान में सामंजस्‍य स्‍थापित करने से हमें जल की दृष्टि से एक सुरक्षित राष्‍ट्र बनने में मदद मिलेगी। हमें सभी राज्‍यों, सार्वजनिक एवं निजी संगठनों और देश के लोगों के बीच मजबूत सहयोग के जरिए जल संबंधी लक्ष्‍यों को प्राप्‍त करने का संकल्‍प लेना चाहिए।

मैं आप सभी के साथ-साथ ‘भारत जल सप्‍ताह-2019’ की सफलता की कामना करता हूं।

धन्‍यवाद!

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