प्रश्न – 1 : किसी अभ्यर्थी को सामान्य अध्ययन की तैयारी कब और कैसे शुरू कर देनी चाहिये?
उत्तर: सामान्यतः स्नातक स्तर की पढ़ाई के साथ ही तैयारी शुरू कर देनी चाहिये, हालाँकि अगर किसी ने उस समय तैयारी शुरू नहीं की है तो भी घबराने की आवश्यकता नहीं है। इस परीक्षा के लिये यदि निरंतर और गंभीर प्रयास किया जाए तो डेढ़ से दो साल का समय पर्याप्त होता है। यदि अभ्यर्थी नियमित रूप से प्रतिदिन 8-9 घंटे का अध्ययन कर पाए तो उसकी सफलता की सम्भावना बढ़ जाती है। इस परीक्षा की तैयारी में एनसीईआरटी की पुरानी पुस्तकों की भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण है( इसकी चर्चा एनसीईआरटी क्यों खंड में की गई है)। इन पुस्तकों की भूमिका प्रारंभिक परीक्षा में 30-40% और मुख्य परीक्षा में भी इतनी ही होती है।
प्रश्न – 2 : क्या सामान्य अध्ययन की तैयारी स्वयं की जा सकती है? अगर हाँ तो कैसे?
उत्तर: बिल्कुल, यही सबसे अच्छा तारिका है। अगर आप विभिन्न खंडों में निहित अवधारणाएँ NCERT द्वारा आसानी से समझ सकते हैं, समसामयिक घटनाक्रम से उनका तारतम्य कर सकते हैं। अंग्रेज़ी में उपलब्ध उपयोगी सामग्री को समझकर हिंदी में प्रस्तुत कर सकते हैं और इंटरनेट से उपयुक्त सामग्री खोज सकते हैं। इससे डेढ़ से दो वर्ष की अवधि में आप सामान्य अध्ययन की तैयारी बहुत आसानी से कर सकते हैं।
प्रश्न – 3 : प्रारंभिक तथा मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन के लिये कौन-सी पुस्तकें पढ़नी चाहियें?
उत्तर: सबसे पहले एनसीईआरटी की पुस्तकें पढ़ना ठीक होगा। कुछ खंडों के लिये अभी कोई पुस्तक उपलब्ध नहीं है, उनके लिये अखबारों के लेख और इंटरनेट की सामग्री को ही आधार बनाना पड़ता है। विशेष टॉपिक्स के लिये कुछ अन्य पुस्तकों को भी देखना पड़ता है। जिनकी सूची इस प्रकार है-भूगोल के लिये ‘ऑक्सफोर्ड तथा ओरिएंट लांगमैन एटलस’; अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों के लिये ‘वर्ल्ड फोकस’, ‘फ्रंटलाइन’ तथा ‘द हिंदू’; अर्थव्यवस्था के लिये ‘प्रतियोगिता दर्पण अतिरिक्तांक’; विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के लिये ‘विवास पैनोरमा’ तथा ‘परीक्षा मंथन’; पर्यावरण तथा जैव-विविधता के खंड के लिये ‘इग्नू के नोट्स’ और सामाजिक न्याय तथा समसामयिक घटनाक्रम के खंडों के लिये ‘योजना’ और ‘कुरुक्षेत्र’ को देखते रहना चाहिये। साथ संविधान के लिये सेन्ट्रल लॉ पब्लिकेशन का ‘बेयर एक्ट’ जरुर साथ रखें।
प्रश्न – 4 : सामान्य अध्ययन की तैयारी में कौन-से अखबार तथा पत्रिकाएँ सहायक होंगी?
उत्तर: इस परीक्षा की तैयारी के लिये हिंदी में ‘हिन्दुस्तान’ और ‘दैनिक जागरण-राष्ट्रीय संस्करण’ अच्छे अखबार कहे जा सकते हैं। इन्हें पड़ते समय सरकार विरोधी राय को अपने ऊपर हावी न होने दें, संतुलित राय बनाने की कोशिश करें। कोशिश करें कि आप ‘द हिंदू’ के लेख पढ़ लें। आप क्रोनिकल या विज़न आईएएस को फॉलो करें।
प्रश्न – 5 : सामान्य अध्ययन की तैयारी के लिये इंटरनेट का फायदा कैसे लिया जा सकता है?
उत्तर: इसके लिए आप iasprabandhan.com पर जाएँ वहाँ आपको महत्त्वपूर्ण वेबसाइट्स की सूची और लिंक मिल जाएंगे। इन्टरनेट का प्रयोग करते समय सावधानी रखें, क्योंकि इसमें भटकने के आसार होते हैं,आप कोशिश करें कि जो आपको बताया जाए उससे अधिक फॉलो न करें। आप बताई गई सामग्री या लिंक पर ध्यानपूर्वक समय दें।
प्रश्न – 6 : सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिये प्रतिदिन कितने घंटे अध्ययन की आवश्यकता होती है?
उत्तर: ऐसी किसी समय सीमा का निर्धारण नहीं किया जा सकता है। वास्तव में सफलता अध्ययन के घंटों से नहीं अभ्यर्थी की इसकी कुशलता से निर्धारित होती है, जिसे आप ‘हार्ड वर्क नहीं स्मार्ट वर्क’ कह सकते हैं। यदि कोई अभ्यर्थी डेढ़ से दो वर्ष तक रोज़ाना 6-8 घंटे गंभीर अध्ययन करता है तो इसे लक्ष्य प्राप्ति के लिये अच्छा प्रयास कहा जा सकता है।
प्रश्न – 7 : न्यूनतम कितने वर्ष की आयु में सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी प्रारंभ कर देनी चाहिये ?
उत्तर: यह बड़ा पेचिदा प्रश्न है और विस्तृत भी। इसका निर्धारण इसके अनुसार कर सकते हैं कि अभ्यर्थी किस पृष्ठभूमि से आता है। [सामान्यतः हिंदी माध्यम के छात्र स्नातक के पहले तक इस विषय या अपने करियर को लेकर अनिश्चितता की स्थिति में होते हैं। सीमित संसाधनों के साथ उनपर दबाव होता है कि पहले कोई भी नौकरी कर लें फिर इसकी तैयारी करें] यदि आप साधन संपन्न परिवार से आते हैं तो आपको स्नातक प्रथम वर्ष से ही इस परीक्षा की बारीकियों पर ध्यान देना शुरू कर देना चाहिये और यदि आपके पास आर्थिक अभाव है तो पहले एक स्थाई रोज़गार की तलाश करनी चाहिये। उदाहरण के लिये, टीना डाबी (साधन संपन्न) जहाँ कम उम्र में टॉप (रैंक 1) पर पहुँच गई वहीँ अनु कुमारी (रैंक 2) ने अपने अंतिम अवसर में टॉप किया। इसलिये आप इस परीक्षा की तैयारी किसी भी उम्र में कर सकते हैं बशर्ते आपके पास 2 साल का समय बिना किसी दबाव के हो।
प्रश्न – 8 : आईएएस की तैयारी स्नातक के बाद या नौकरी के बिना ही शुरू करनी चाहिये अथवा पहले एक नौकरी प्राप्त कर उसके बाद प्रारंभ करनी चाहिये?
उत्तर: आईएएस की परीक्षा तैयारी में अच्छी रणनीति,इसके प्रति जूनून और अच्छे मार्गदर्शक के होने के साथ ही डेढ़ से दो वर्ष का गहन अध्ययन भी जरुरी होता है। आप स्नातक के बाद और नौकरी पश्चात दोनों स्थितियों में तैयारी प्रारंभ कर सकते हैं। बस शर्त यह है कि आप उपरोक्त बातों को गंभीरता से लें। हाल के वर्षों के परिणामों का गहराई से विश्लेषण करने पर यह बिल्कुल स्पष्ट हो जाता है कि इस परीक्षा में दो प्रकार के अभ्यर्थियों का ही चयन मुख्य रूप से होता है। पहला 21-24 वर्ष आयुवर्ग के अभ्यर्थियों का, दूसरा जो अपने करियर को लेकर निश्चिंत हैं उनका। यदि आप इन दोनों वर्गों में नहीं हैं तो पहले आप एक अच्छा करियर विकल्प बनाइए और इसके बाद इसकी तैयारी करें।
प्रश्न – 9 : क्या मैं बिना कोचिंग के भी सिविल सेवा परीक्षा में सफल हो सकता हूँ?
उत्तर: इस परीक्षा की तैयारी करने वाले अधिकांश अभ्यर्थियों के मन में यह सवाल आता है। इसका सही उत्तर है कि हाँ,बिल्कुल आप बिना कोचिंग के सफल हो सकते हैं,बशर्ते आपका मार्गदर्शन कोई उचित व्यक्ति या संस्थान कर रहा हो। दरअसल कोचिंग का अर्थ यहाँ पर अभ्यर्थियों द्वारा उस संस्थान से लगाया जाता है जहाँ पर नियमित कक्षाएँ होती हैं,भारी भरकम नोट्स प्रदान किए जाते हैं। इस परीक्षा के लिये आपको नियमित कक्षाओं और नोट्स की आवश्यकता नहीं है बल्कि NCERT की पुस्तकों के साथ-साथ दो-चार अन्य पुस्तकों की जरूरत होती है। इसके साथ ही यदि आपको किसी के द्वारा मार्गदर्शन मिल जाए तो यह और भी सरल हो जाता है। हाँ, आप वैकल्पिक विषय के लिये नियमित कक्षाओं और नोट्स का सहारा ले सकते हैं परन्तु वह भी बहुत ही कम समय के लिये।
प्रश्न – 10 : प्रारंभिक परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्नों का स्वरूप क्या होता है?
उत्तर: सिविल सेवा की प्रकृति बहुविकल्पीय होती है। प्रत्येक प्रश्न के नीचे दिये गए चार विकल्पों (a, b, c और d) में सही विकल्प चुनना होता है। इस परीक्षा में गलत उत्तर के लिये एक तिहाई (1/3) अंक काट लिये जाते हैं।
प्रश्न – 11 : निगेटिव मार्किंग को देखते हुए प्रारंभिक परीक्षा में कितने प्रश्न करना सही होता है? जिन प्रश्नों के उत्तरों में संदेह हो रहा हो, क्या उन्हें छोड़ देना चाहिये?
उत्तर: सामान्यतः इस व्यवस्था को अधिकतर अभ्यर्थी समझ नहीं पाते हैं और निगेटिव मार्किंग के डर से बहुत ही कम प्रश्नों (यथा 40-50 प्रश्न) को ही हल कर आते हैं। मान लेते हैं कि ऐसे 20 प्रश्न हैं जिनके 2 विकल्पों पर आप निश्चित हैं कि उत्तर इन्हीं में से हैं। अब 10 सही और 10 गलत होते हैं तो आपको सही के 20 अंक मिलेंगे और गलत के 6.7 अंक काट लिये जाएंगे तो भी आपको तेरह अंकों से अधिक का लाभ होगा। अब एक दूसरी सम्भावना मानते हैं कि आपके 8 प्रश्न सही हैं और 12 गलत तो आपको 16 अंक मिलेंगे और लगभग 8 अंक काट लिये जाएंगे तो भी आपको 8 अंकों का फायदा मिलेगा। यहाँ नकारात्मक प्रश्न बढ़ाने पर भी घाटा नहीं हो रहा। साथ ही एक और सुझाव देना चाहूँगा इसका प्रयोग आप तब करें जब आपने पर्याप्त पढ़ाई की हो। भाग्य से यदि इससे आप प्रारंभिक परीक्षा पास कर भी लेते हैं तो मुख्य परीक्षा में आपको कठिनाइयों का सामना करना होगा।
प्रश्न – 12 : सिविल सेवा परीक्षा में आवेदन करने के लिए न्यूनतम योग्यता क्या होनी चाहिए?
उत्तर: सिविल सेवा परीक्षा में ऐसी सभी उम्मीदवार आवेदन कर सकते हैं जिन्होंने स्नातक स्तर या इसके समकक्ष कोई डिग्री प्राप्त की हो।
जिन उम्मीदवारों के पास ऐसी व्यवसायिक और तकनीकी योग्यताएं हो, जो सरकार द्वारा व्यवसायिक व तकनीकी डिग्रियों के समकक्ष मान्यता रखते हैं, वे भी इस परीक्षा में बैठ सकते हैं।
प्रश्न – 13 : यदि किसी ने एमबीबीएस अथवा कोई अन्य चिकित्सा परीक्षा पास की हो, लेकिन अपना इंटर्नशिप पूरा नही किया हो, तो क्या वह इस परीक्षा को देने के लिए योग्य होगा?
उत्तर: ऐसे उम्मीदवार को भी परीक्षा के लिए आवेदन करने के प्रपत्र के साथ संबंधित विश्वविद्यालय था संस्था के संबंधित सक्षम प्राधिकारी से अनुप्रमाणित (।जजमेजमक) कराकर अपनी मूल डिग्री अथवा प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करने होंगे कि उन्होंने डिग्री प्रदान करने हेतु सभी अपेक्षाएँ (जिसमें इण्टर्नशिप पूरा करना की शामिल है) पूरी कर ली है।
प्रश्न – 14 : मैनें स्नातक के अंतिम वर्ष की परीक्षा दी है, लेकिन अभी अंतिम परिणाम घोषित नहीं हुये है। क्या मैं उस वर्ष सिविल सेवा परीक्षा दे सकता हूँ?
उत्तर: ऐसे सभी अभ्यर्थी प्रारंभिक परीक्षा में भाग लेने के लिए पात्र होंगे, लेकिन सिविल सेवा मुख्य परीक्षा में बैठने के समय आप सभी को मुख्य परीक्षा के लिए आवेदन प्रपत्र के साथ-साथ स्नातक अंतिम वर्ष में उत्तीर्ण होने का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करना होगा।
प्रश्न – 15 : अवसरों की संख्या के संदर्भ में संघ लोक सेवा आयोग के सामान्य निर्देश क्या है?
उत्तर: प्रारम्भिक परीक्षा में बैठने को परीक्षा में बैठने का एक अवसर माना जायेगा।
यदि उम्मीदवार प्रारम्भिक परीक्षा के किसी एक प्रश्न-पत्र में भी परीक्षा दे देता है, तो इसे उसका परीक्षा के लिए एक प्रयास समझा जायेगा।
उम्मीदवारी रद्द होने के बावजूद उम्मीवार की परीक्षा में उपस्थिति को एक अवसर माना जायेगा।
प्रश्न – 16 : मेरी शैक्षिक पृष्ठभूमि औसत रही है ऐसा माना जाता है कि सिविल सेवा परीक्षा देश की सबसे कठिन परीक्षा है और देश की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाएँ ही इसमें सफल होती है?
उत्तर: सिविल परीक्षा में प्रतिभाग करने की योग्यता स्नातक उत्तीर्ण होना है न कि स्नातक में असाधारण अंकों से प्राप्त होना है यह देश की सर्वश्रेष्ठ परीक्षा है, लेकिन इस लिए नहीं कि इसमें केवल आपके बौद्धिक योग्यता या रटने की क्षमता का परीक्षण किया जाता है बल्कि इसलिए क्योंकि इसमें आपके विभिन्न विषयों पर समझ, विश्लेषण की क्षमता और उसे अभिव्यक्त करने की कुशलता किस प्रकार की है, जिनकी शैक्षिक पृष्ठभूमि औसत रही है, वैसे अनेक छात्रें ने भी सेवा में अपनी मेहनत, लगन और निरंतर सुधार के जरिए सफलता पायी।
प्रश्न – 17 : मेरी परिवारिक पृष्ठभूमि ग्रामीण है और आर्थिक स्थिति की अच्छी नहीं है। क्या ऐसे में सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी की जा सकती है? कुछ लोग सलाह देते है कि पहले कुछ छोटी परीक्षाओं (SSC, PCS आदि) की तैयारी कर के नौकरी लेनी चाहिए और इसके बाद सिविल सेवा की तैयारी करना चाहिए?
उत्तर: आपकी पारिवारिक पृष्ठभूमि का सिविल सेवा परीक्षा में सफलता से कोई सीधा संबंध नहीं है ऐसे अनेक ग्रामीण पृष्ठभूमि और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के विद्यार्थी है जो प्रत्येक वर्ष इस परीक्षा में सफल होते है।
लेकिन इसके साथ ही साथ यह भी सच है कि आपकी पारिवारिक और वित्तीय पृष्ठभूमि आपके व्यक्तित्व, सोच और विश्वास को जरूर प्रभावित करती है। अक्सर हमारे विपरीत हालात हमारे सामने दो विकल्प रखती है पहला या तो हम अपनी पारिस्थितियों में कुशल प्रबंधक बनकर उभरे, धैर्य रखे और दबावपूर्ण स्थिति में सकारात्मक मनोबल बनाये रखे रहे। हालांकि ऐसी भी परिस्थितियां आती है, जब हालात हमेंं थोड़ा लाचार बना देती है और हमारा आत्मविश्वास इतना कमजोर होने लगता है कि परीक्षा के लिए जरूरी ऊर्जा और एकाग्रता ही हमारे पास नहीं रह जाती।
इसलिए आपको अपनी परिस्थितियों के साथ अपनी क्षमताओं का निष्पक्ष मूल्यांकन करना चाहिए। यदि इसके बाद आप सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी का फैसला करते हैं, तो आपमें दोहरा भाव या दुविधा नहीं होनी चाहिए। यदि अपने एक निर्णय ले लिया है तो उस उसे सही साबित करना है।
लेकिन यदि आपके उत्तरदायित्व अत्यधिक हैं और तैयारी के लिए आवश्यक न्यूनतम संसाधन और परिस्थितियां नहीं है, तो आप अन्य परीक्षाओं व विकल्पों के बारे में सोच सकते है। एक बार कहीं स्थिरता आ जाये तो सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर सकते है।
प्रश्न – 18 : अक्सर यह सुनने में आता है कि सिविल सेवा परीक्षा में अंग्रेजी माध्यम के विद्यार्थी ही अधिक सफल हो पाते हैं? क्या हिन्दी माध्यम से सफलता प्राप्त करना इतना कठिन है?
उत्तर: संघ लोक सेवा आयोग द्वारा परीक्षा के दौरान भाषायी स्तर पर कोई भेदभाव नहीं किया जाता है। इसलिए हिन्दी माध्यम से भी सफलता की उतनी ही संभावना है, जितनी की अंग्रेजी माध्यम से।
हालांकि पहले पाठ्यसामग्री और नवीनतम जानकारी के स्तर पर अंग्रेजी माध्यम में संसाधन अधिक थे, लेकिन वर्तमान में हिन्दी माध्यम में भी विभिन्न कोचिंग संस्थानों (जैसे – ध्येय IAS) की मैगजीन और वेबसाइटों के जरिए यह समस्या बड़ी नहीं रही है।
हिन्दी माध्यम के विद्यार्थियों को भाषायी सरलता व सटीक प्रस्तुतीकरण के स्तर पर समस्याएँ आती है, जिसके लिए निरंतर अभ्यास की जरूरत है। यदि ऐसा कोई करता है, तो निश्चय ही हिन्दी माध्यम के छात्र न केवल सफल होते है बल्कि वरीयता सूची में भी शीर्ष स्थान भी प्राप्त करते है।
प्रश्न – 19 : सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए कितना समय पर्याप्त होता है?
उत्तर: सिविल सेवा परीक्षा में सफलता कितने समय में मिल सकती है, इसका कोई वस्तुनिष्ठ निर्धारण निर्धारित तो नहीं किया जा सकता।
क्योंकि यह अलग-अलग विद्यार्थियों की क्षमता, शैक्षिक व पारिवारिक पृष्ठभूमि, अभिरूचित दबाव व समय प्रबंधन जैसे व्यक्तित्व के लक्षणों पर भी निर्भर करती है।
लेकिन फिर भी सही रणनीति और लगन के साथ एक से दो साल की तैयारी सफल होने के लिए पर्याप्त हैं।
प्रश्न – 20 : क्या स्नातक के दौरान भी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी की जा सकती है?
उत्तर: सिविल सेवा हमेशा से सर्वाधिक आकर्षक कैरियर के रूप में लोकप्रिय रहा है, लेकिन प्रायः विद्यार्थी इसकी तैयारी स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद करते रहे है। इसका एक बड़ा कारण यह रहा है कि स्नातक की डिग्री स्वयं में जटिल और श्रम साध्य है।
हालांकि जिनका लक्ष्य पहले से ही सिविल सेवा में जाना निर्धारित है, वे स्नातक के दौरान ही बेहतर रणनीतिक प्रबंधन के जरिए अपनी संभावना बढ़ा सकते है।
इसके लिए स्नातक के दौरान आधारभूत अवधारणाओं की समझ के लिए एन-सी-आर-टी- की पुस्तकों को पढ़ें। व्यक्तित्व विकास पर बल दे यानि अपने विचारों को दूसरे के सामने रखना, समय प्रबंधन करना और नेतृत्व की क्षमता का विकास करना आदि।
स्नातक के लिए ऐसे विषयों का चयन और उनका अध्ययन कर सकते है, जो आगे चलकर आपके लिए सिविल सेवा परीक्षा में सहायक हो।
प्रश्न – 21 : क्या वैकल्पिक विषय के रूप में स्नातक के विषय का ही चयन करना आवश्यक है अथवा कोई अन्य विषय भी ले सकते हैं?
उत्तर: न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता स्नातक होती है, अतः स्नातक में हम जिस विषय को पढ़ते है, उस विषय पर एक समझ के साथ-साथ पकड़ भी बन जाती है जिससे उस विषय में हमें सहजता महसूस होती है। अतः यह विषय चयन का एक आधार हो सकता है।
हालांकि यह अनिवार्य नहीं है कि हम स्नातक से संबंधित विषय ही ले, हम कोई भी अन्य विषय ले सकते है। अतः विषय चयन के निम्न आधार भी हो सकते है-
विषय में आपकी रूचि।
सामग्री की उपलब्धता
मार्गदर्शन की उपलब्धता मार्गदर्शन से तात्पर्य है विषय के विशेषज्ञ की मदद मिलना।
उत्तर लेखन में मार्गदर्शन को लेकर।
उपरोक्त आधारों के अलावा भी एक आधार यह भी हो सकता है कि विगत वर्षो में विषय में अच्छे अंक आ रहे है। लेकिन यहां यह स्पष्ट करना जरूरी है कि अच्छे अंक आ रहे है, तो यही आधार हो ऐसा जरूरी नहीं है यह बहुत हद तक स्वयं की उत्तर लेखन शैली और विषय की समझ पर भी निर्भर करता है।
प्रश्न – 22 : वैकल्पिक विषय को चयन करते समय सामान्य अध्ययन के प्रश्नों या भाग का कितना ध्यान रखना चाहिए? क्या उस विषय का चयन करना चाहिए जिससे सामान्य अध्ययन का ज्यादा हिस्सा कवर होता है?
उत्तर: हां यह चयन का एक पक्ष हो सकता है। बहुत से ऐसे विषय है जहाँ सामान्य अध्ययन का कुछ भाग उस विषय के दायरे में आता है। जिससे परीक्षा में लाभ मिलता है।
हालांकि विषय का चयन विषय में रूचि होना तथा सामाग्री की उपलब्धता और विषय का आसानी से समझ में आना महत्वपूण्ार् आधार होना चाहिए।
प्रश्न – 23 : जब मैं अपने आस-पास ऐसे लोगों को देखता हूँ जिनका सिविल सेवा में अंतिम रूप से चयन नहीं हो पाया तब मेरा आत्मविश्वास कम होने लगता है। इसके लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर: अधिकतर हमारे आस-पास वहीं लोग दिखते है, जो चयनित नहीं है, तो उनको देखकर आत्मविश्वास कम नहीं होना चाहिए, क्योंकि सबकी अपनी-अपनी रणनीति होती है और अपना तरीका होता है हमें हमेशा यह देखना चाहिए जिनका अंतिम रूप से चयन हुआ है, वो हमारे बीच से ही है।
अंतिम चयन के लिए मात्र जानकारी काफी नहीं होती हमें सही उत्तर लेखन परीक्षा की मांग और समसायिक मुद्दों से जोड़कर तैयारी करनी चाहिए।
असफलता के कई कारण हो सकते हैः-
परीक्षा कक्ष में सीमित सीमित समय होता है, और प्रश्न की जानकारी होते हुए भी सही से अभिव्यक्त न कर पाना, जिसकी एक वजह अभ्यास की कमी होती है।
परीक्षा के समय दबाव का प्रबंधन नहीं कर पाना जिससे आते हुए प्रश्न का भी उत्तर गलत हो जाता है या जो तथ्य उत्तर पुस्तिका से लिखने चाहिए वह नहीं लिख पाते।
सही मार्गदर्शन की कमी, कि क्या-क्या पढ़ना चाहिए, क्या नहीं।
रणनीतिक रूप से व्यक्ति कितना सक्षम है- समय प्रबंधन, तथ्यों का प्रयोग अैर लेखन शैली की लेकर।
उपाय-
सकारात्मक नजरिया बनाए रखें – सफल लोगों से मिले, नकारात्मक विचार नजरअंदाज करें।
अपना आत्मविश्वास कम न होने दें, आप में अपार क्षमता और ऊर्जा है, उसका सदुपयोग कर अपने लक्ष्य को प्राप्त करें।
अपनी कमियों को पहचाने और उन्हें दूर करें, दूसरे की गलतियों से खुद में सुधार लाए, और अपने मार्ग पर दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ते जाये।
प्रश्न – 24 : लड़कियों पर पारिवारिक दबाव अधिक होता है, जिस कारण पढ़ाई में एकाग्रता नहीं बन पाती है, इसके लिए क्या करूँ?
उत्तर: खुद को लक्ष्य पर केन्द्रित करे, और अपनी पूरी लगन और ऊर्जा के साथ अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए समय का समुचित प्रयोग करें।
अपने माता-पिता और परिवार को विश्वास दिलाए कि हम लक्ष्य प्राप्त करेगें।
अगर पहले चरण में सफलता मिल जाती है, तो अभिभावक और परिवार का विश्वास बढ़ता है अतः लक्ष्य प्राप्ति के लिए कड़ी मेहनत करें।
आगे क्या कठिनाईयां आयेंगी उसके लिए नकारात्मक सोच न रखकर, वर्तमान को बेहतर बनाने का प्रयास करें।
स्वयं के प्रेरणा स्त्रेत बने, छोटे-छोटे लक्ष्य बनाये और पूरा करेें जिससे आत्मविश्वास बहुत मजबूत होगा।
प्रश्न – 25 : कोचिंग का चयन कैसे करें?
उत्तर: कोचिंग का उद्देश्य केवल सूचना देना नहीं बल्कि समझ का दायरा बढ़ाना है कोचिंग हमें परीक्षापयोगी विषयों और तथ्यों को कैसे पढ़ना है ओर प्रश्नों की मांग के अनुसार दृष्टिकोण विकसित कराने में सहायक होता है।
यह हमें तथ्यों के बहुआयामी प्रयोग और हमारे व्यक्तित्व विकास में सहायक होता है।
किसी कोचिंग का चयन उसकी उपलब्ध सामग्री के आधार पर न करें, क्येांकि कक्षा में शिक्षक के पढ़ाने की तरीका कैसे है अधिक मायने रखता है।
ट्रायल क्लास द्वारा चयन किया जा सकता, क्योंकि आपको क्लास करने से गुणवत्ता का पता चल जाता है।
प्रश्न – 26 : सिविल सेवा की तैयारी के लिए क्या स्व-अध्ययन (Self Study) पर्याप्त है या कोचिंग की अनिवार्यता है?
उत्तर: सही मार्गदर्शन और समय बचत हेतु कोचिंग आवश्यक है:
कोचिंग के लाभ-
पाठ्यक्रम के विषयवस्तु पर समझ विकसित करने में सहायक। किसी विषय और तथ्य को कैसे पढ़ना और प्रयोग कैसे करना है आदि बातों में कोचिंग सहायक की भूमिका निभाती है।
समय प्रबंधन तथा उचित मार्गदर्शन में सहायक, क्योंकि बाजार में अध्ययन सामग्री बहुत है, ऐसे में क्या पढ़ना चाहिए और क्या छोड़ना चाहिए के चयन में कोचिंग मार्गदर्शक का काम करता है।
निरंतरता बढ़ती है, जिससे हममें पढ़ने की आदत विकसित होती है।
एक अच्छा ग्रुप मिल सकता है, प्रतिस्पर्धा का माहौल मिलता है, ग्रुप में चर्चा करके किसी विषय के सभी आयाम से सोचने की क्षमता विकसित होती है।
अध्ययन सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित होती है जिससे हम सामग्री को लेकर भटकाव से बच जाते है क्योंकि बाजार में अनावश्यक सामग्री की उपलब्धता बहुत है।
कोचिंग के हानि-
यदि सही कोचिंग का चयन नहीं हुआ तो वह आपको आपके लक्ष्य तक नहीं पहुंचा पायेगी, और आपकी ऊर्जा, लगन एवं मेहनत का सही उपयोग नहीं हो पायेगा।
समय बहुमूल्य है गलत कोचिंग से समय की बर्बादी होती है।
सही कोचिंग न होने से आर्थिक क्षति भी पहुंचती है और परिणाम कुछ भी नहीं निकलता जिसका वजह से घर से भी दबाव बनता है।
भटकाव की संभावना रहती है।
प्रश्न – 27 : कौन-सा समाचार पत्र (छमूेचंचमत) पढ़ा जाना चाहिए?
उत्तर: एक या दो स्तरीय न्यूजपेपर पर्याप्त होते है, उसकी भाषा और गुणवत्ता आधार होना चाहिए।
अंग्रेजी में – The Hindu और Indian Express
हिन्दी- दैनिक जागरण या भास्कर का राष्ट्रीय संस्करण, जनसत्ता।
राष्ट्रीय संस्करण- जो दिल्ली से निकलता है और उस पर राष्ट्रीय संस्करण लिखा होता है।
ये सारे पेपर इंटरनेट पर भी उपलब्ध है e-Paper के नाम से ।
प्रश्न – 28 : हिन्दी माध्यम के अभ्यर्थियों के लिए भी क्या “The Hindu” पढ़ना आवश्यक है?
उत्तर: नहीं, यह अनिवार्य नहीं, बहुत सारे उदाहरण हैं जिन्होंने The Hindu नहीं पढ़ा, The Hindu में स्थानीय न्यूज को महत्व न देकर राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय और समसामायिक मुद्दों को प्राथमिकता देते है अतः यही विषय हमें जिस पेपर में मिले वह लाभदायक होगा।
प्रश्न – 29 : समाचार पत्र (Newspaper) को किस प्रकार पढ़ा जाये?
उत्तर: वर्तमान घटनाक्रम को मुद्दों और विषय के साथ जोड़कर पढ़े, जिससे घटना की प्रासंगकिता पता चलेगी।
किसी भी मुद्दे को पाठ्यक्रम के अलग-अलग भाग से जोड़ने का प्रयास करें, जिससे आपकी तैयारी बेहतर होगी, क्योंकि अधिकांश प्रश्न समसामायिक मुद्दों से संबंधित होते है।
कुछ न्यूज जो लगातार आते है उसे ध्यान में रखें और अंततः जो निष्कर्ष प्राप्त हो उसे नोट करे लें और उन्हें प्रारम्भिक व मुख्य परीक्षा के अनुसार पाठ्यक्रम से जोड़ कर पढ़ें।
घटनाओं के प्रमुख तथ्यों को लिख सकते है जो तैयारी में लाभदायक साबित होगा।
घटनाओं को एक रजिस्टर में राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय आर्थिकी तथा पर्यावरण पारिस्थितिकी को अलग-अलग प्रश्नपत्र के अनुसार लिख सकते है, परीक्षा के दौरान बहुत लाभदायी होगा।
महत्वपूर्ण संपादकीय लेखों को काट करके के अलग रख सकते हैं या महत्वपूर्ण बिन्दु पर नोट्स बना सकते है जो कि निबंध और मुख्य परीक्षा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।