
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ), सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने जुलाई 2017 से जून 2018 की अवधि के दौरान 75 वें दौर में घरेलू उपभोग व्यय पर एक अखिल भारतीय सर्वेक्षण किया। उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण (सीईएस) आमतौर पर पांच वर्ष के अंतराल पर किया जाता है और उपभोक्ता व्यय पर अंतिम सर्वेक्षण 68 वें दौर (जुलाई 2011 से जून 2012) में किया गया था। एनएसएस उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण घरेलू उपभोक्ता प्रति व्यक्ति मासिक व्यय (एमपीसीई) और एमपीसीई वर्गों में घरों और व्यक्तियों के वितरण का एक अनुमानित आंकड़ा पेश करता है। यह घरेलू उपभोक्ताओं द्वारा उपभोक्ता वस्तुओं और सेवाओं (भोजन और गैर-खाद्य) की खपत पर खर्च के बारे में जानकारी एकत्र करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। आंकड़े जारी होने के बाद, प्राप्त परिणामों का उपयोग जीडीपी और अन्य सूक्ष्म- आर्थिक संकेतकों के पुनर्निर्धारण के लिए भी किया जाता है।
मंत्रालय ने एनएसएस द्वारा किये गये उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण के बारे में मीडिया रिपोर्टों को देखा है जिसमें कहा गया है कि उपभोक्ता खर्च गिर रहा है और रिपोर्ट को इसके ‘प्रतिकूल’ निष्कर्षों के कारण रोक दिया गया है। हम स्पष्ट रूप से यह बताना चाहते हैं कि सर्वेक्षणों के माध्यम से प्राप्त आंकड़ों और रिपोर्ट के संकलन की एक कठोर प्रक्रिया है। मंत्रालय में आनेवाली ऐसे सभी प्रविष्टियां, मसौदे के स्वरूप में होती हैं और वो अंतिम रिपोर्ट नहीं मानी जा सकती।
इसके अलावा, सर्वेक्षण के परिणामों की जांच की गई और यह नोट किया गया कि न केवल उपभोग के ढर्रे में, बल्कि वस्तुओं और सेवाओं के वास्तविक उत्पादन जैसे अन्य प्रशासनिक आंकड़ों के स्रोतों की तुलना में परिवर्तन की दिशा में भी स्तरों के विचलन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। विशेष रूप से स्वास्थ्य और शिक्षा पर परिवारों द्वारा सामाजिक सेवाओं की खपत को दर्ज करने के लिए सर्वेक्षण अभिकरण की क्षमता/ संवेदनशीलता के बारे में भी चिंता व्यक्त की गई। इसलिए यह मामला विशेषज्ञों की एक समिति को भेजा गया, जिसने विसंगतियों पर ध्यान दिया और सर्वेक्षण पद्धति को परिष्कृत करने और समवर्ती आधार पर आंकड़ों के गुणवत्ता पहलुओं में सुधार सहित कई सिफारिशें की। भविष्य के सर्वेक्षणों में कार्यान्वयन के लिहाज से समिति की सिफारिशों का विश्लेषण किया जा रहा है।
राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी की सलाहकार समिति ने भी जीडीपी श्रृंखला के पुनर्निर्धारण के संबंध में अलग से यह सिफारिश की है कि नए आधार वर्ष के रूप में उपयोग करने के लिए 2017-18 उपयुक्त वर्ष नहीं है।
आंकड़ों की गुणवत्ता के मद्देनजर, मंत्रालय ने 2017-2018 के उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण के परिणामों को जारी नहीं करने का निर्णय लिया है. मंत्रालय सर्वेक्षण प्रक्रिया में आंकड़ों की गुणवत्ता के सभी शोधन को शामिल करने के बाद 2020-2021 और 2021-22 में अगला उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण कराने की व्यावहारिकता के बारे में अलग से जांच कर रहा है।