केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ पेरिस में 40वें यूनेस्को महा सम्मेलन में लगभग 190 देशों के शिक्षा मंत्रियों / प्रतिनिधियों को संबोधित किया

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ पेरिस में 40वें यूनेस्को महा सम्मेलन में लगभग 190 देशों के शिक्षा मंत्रियों / प्रतिनिधियों को संबोधित किया

हम शिक्षा, विज्ञान, पर्यावरण और संस्कृति में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से शांति बनाने के अपने मूल जनादेश को आगे बढ़ाने के प्रयास में यूनेस्को का समर्थन करना जारी रखेंगे- मानव संसाधन विकास मंत्री

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने पेरिस में 40वें यूनेस्को महा सम्मेलन में लगभग 190 देशों के शिक्षा मंत्रियों / प्रतिनिधियों को संबोधित किया। इस अवसर पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि सदियों पुरानी अमर भारतीय संस्कृति ने पूरी दुनिया को एक परिवार माना है। उन्होंने कहा कि वसुधैव कुटुम्बकम के महान विचार को दुनिया भर में फैलाते हुए, भारत ने “सर्वतो भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामय” की परिकल्पना को स्वीकार करते हुए संपूर्ण मानवता के कल्याण के लिए प्रार्थना की है। इंटीग्रल ह्यूमन डिबेट के विचार के साथ, हमने समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने का संकल्प लिया है।

मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि भारत का आदर्श वाक्य “सभी के विकास के लिए, सभी के विश्वास के साथ सामूहिक प्रयास” है, जैसा कि भारत के प्रधान मंत्री, श्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सम्मेलन में उल्लेख किया था।

मंत्री ने कहा कि यूनेस्को के इस सत्र का एक और महत्व है क्योंकि यह ऐसे समय में हो रहा है जब पूरा विश्व महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती मना रहा है। सत्य और अहिंसा पर उनका संदेश आज भी अधिक महत्वपूर्ण और प्रासंगिक है।उन्होंने जोर देकर कहा कि शिक्षा के माध्यम से, हम भारत के प्रत्येक नागरिक को सार्वभौमिक भाईचारे, सामाजिक सद्भाव, सौहार्द, मानवीय मूल्यों और प्रेम की भावना को आगे बढ़ाने और फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।

श्री निशंक ने कहा कि विश्व में तीसरी सबसे बड़ी शिक्षा प्रणाली होने के नाते, भारत 33 करोड़ से अधिक छात्रों के उज्ज्वल भविष्य के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है। भारत में 45000 डिग्री कॉलेजों के साथ 1000 से अधिक विश्वविद्यालय हैं। भारत विश्व की सबसे अधिक युवा जनसंख्या वाला देश है। भारत यूनेस्को के मिशन को आगे बढ़ाने और सामान्य उद्देश्यों को पूरा करने के लिए एक सकारात्मक और रचनात्मक भूमिका निभा रहा है।

उन्होंने शिक्षा, विज्ञान, पर्यावरण और संस्कृति में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से शांति के निर्माण के अपने मूल जनादेश को आगे बढ़ाने के प्रयास में यूनेस्को को भारत के निरंतर समर्थन का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि हमारा दर्शन, हमारी सोच और हमारी भावना सब कुछ मानवता के कल्याण के लिए केंद्रित है, “असतो मा सद्गमय तमसो मा ज्योतिर्गमय” का अर्थ है सभी जीवों को असत्य से सत्य और अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाना।

उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए यूनेस्को के प्रयासों की सराहना की कि प्रत्येक बच्चे और नागरिक को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले। उन्होंने कहा कि हमारे जनादेश के अनुसार, हम शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 को लागू करके भारत में हर बच्चे तक पहुंचने में सक्षम हैं। उन्होंने कहा कि भारत में नालंदा विश्वविद्यालय, विश्व के सबसे पुराने केंद्रों में से एक है। नालंदा, विक्रमशिला, वल्लभ विश्वविद्यालय विश्व के विभिन्न हिस्सों के छात्रों और विद्वानों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है।

उन्होंने सूचित किया कि 33 वर्षों की अवधि में देश के शिक्षा क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन किए गए हैं। हमारी नई शिक्षा नीति के माध्यम से, हम गुणवत्ता, रोजगार, रचनात्मकता, समावेशिता, मानवीय मूल्यों, विज्ञान और नवाचार, कौशल, सामाजिक हित, व्यावहारिक अनुसंधान और पर्यावरण शिक्षा के क्षेत्रों में तय किए गए लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

मानव संसाधन विकास मंत्री ने आगे कहा कि भारत उच्च शिक्षा को गुणात्मक और सर्वसुलभ बनाने के लिए अत्यधिक संकल्पबद्ध है। स्वयं-पोर्टल के माध्यम से, हम केवल भारतीय छात्रों को ही नहीं, बल्कि विदेशी छात्रों को भी मुफ्त ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करने का प्रयास कर रहे हैं। भारत में, पहले से ही 12.3 मिलियन छात्र स्वयं-पोर्टल के तहत ऑनलाइन शिक्षा ले रहे हैं। हम ई-विद्याभारती और आरोग्यभारती, स्वयं प्रभा, डीटीएच चैनल के माध्यम से मुफ्त ऑनलाइन शिक्षा भी प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि हम अफ्रीकी देशों के साथ पहले ही निशुल्क शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए समझौता कर चुके हैं।

उन्होंने यह भी बताया कि भारत ने आसियान देशों के 1000 छात्रों को शोध के लिए पूर्ण छात्रवृति भी आईआईटी में उपलब्ध कराया है। उन्होंने कहा कि IMPRINT, SPARC, STRIDE, NIRF रैंकिंग, IMPRESS और GIAN हमारी कुछ योजनाएं हैं जिनके द्वारा अन्य देशों के छात्रों को भारत में शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ‘स्टडी इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत भारत के 100 से अधिक उत्कृष्ट शिक्षण संस्थान दुनिया भर के छात्रों के लिए उपलब्ध हैं।

शिक्षकों के प्रशिक्षण के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि हम शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों के महत्व को समझते हैं इसलिए हमने दुनिया का सबसे बड़ा शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम “निष्ठा” शुरू किया है जिसके तहत 4.2 मिलियन से अधिक शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाएगा। इसी तरह, अर्पित कार्यक्रम के तहत 1 मिलियन से अधिक शिक्षकों को प्रशिक्षित भी किया जाएगा।

मानव संसाधन विकास मंत्री ने विश्व धरोहर सूची में जयपुर शहर को शामिल करने के लिए यूनेस्को को धन्यवाद दिया। उन्होंने अमूर्त विरासत की सूची में विश्व की सबसे बड़ा मेला कुंभमेला को शामिल करने के लिए यूनेस्को को धन्यवाद भी दिया। इसी तरह उन्होंने रचनात्मक शहरों के नेटवर्क की सूची में मुंबई और हैदराबाद के चयन का भी स्वागत किया। मंत्री ने कहा कि हम 1970 के सम्मेलन को मजबूत करने के पक्ष में हैं, जिसमें सांस्कृतिक संपत्ति के स्वामित्व के अवैध आयात, निर्यात और हस्तांतरण पर चर्चा हुई।

उन्होंने कहा कि इस वर्ष को यूनेस्को ने “स्वदेशी भाषाओं का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष” घोषित किया है। उन्होंने कहा कि भारत में 2000 से अधिक स्वदेशी भाषाएं हैं और भारत हिंदी, संस्कृत और अन्य सभी भारतीय भाषाओं और उनकी लिपि को संरक्षित और मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है।

उन्होंने कहा कि भारत विज्ञान और प्रौद्योगिकी की मदद से यूनेस्को के सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस संदर्भ में, भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 103 वें भारतीय विज्ञान कांग्रेस में ‘इंडिया टेक्नोलॉजी विजन 2035’ का अनावरण किया है, जो 12 विषयों पर केंद्रित है।

मंत्री ने कहा कि हमारे पर्यावरण की रक्षा के लिए स्वच्छ ऊर्जा, अनुसंधान, सौर ऊर्जा और जल प्रौद्योगिकी जैसी नई योजनाएं शुरू की गई हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने पर्यावरण के क्षेत्र में बढ़ते जलवायु असंतुलन को कम करने के लिए “अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन” का नेतृत्व किया है।

जलवायु परिवर्तन विश्व के सामने एक बड़ी चुनौती के रूप में उभरा है जिसका हम सब को एक साथ मिलकर सामना करना है। ये हम सभी के सामने एक बड़ा बदलाव है। शिक्षा, संस्कृति, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, पानी और अन्य क्षेत्रों में भारत पहल करना चाहता है। उन्होंने पूरे विश्व से अनुरोध किया कि हम एक साथ मिलकर यूनेस्को पर्यावरण क्षेत्र के सतत विकास लक्ष्यों को पूरा कर सकते हैं।

मंत्री ने दोहराते हुए कहा कि भारत यूनेस्को को यूएन में संयुक्त राष्ट्र सुधार के व्यापक प्रारूप के लिए एकीकृत करने के पक्ष में है। उन्होंने यह भी कहा कि हम मानते हैं कि यूनेस्को संविधान में संशोधन का दूरगामी प्रभाव पड़ेगा और आपसी सहयोग एवं समिति को प्रोत्साहित करेगा।

उन्होंने यह भी दोहराया कि भारत को यूनेस्को में संयुक्त राष्ट्र सुधार के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना होगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि यूनेस्को के संविधान में संशोधन करने के दूरगामी प्रभाव होंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published.

× Join Telegram