
“अक्टूबर 2019 में भारत में पल्स पोलियो कार्यक्रम के 25 वर्ष पूरे हो गए हैं, इस ऐतिहासिक अवसर पर आइए हम फिर संकल्प लेते हैं कि टीकाकरण से रोके जा सकने वाले रोगों (वीपीडी) से बचाने के लिए हरेक बच्चे तक पहुंचेंगे” : डॉ. हर्षवर्धन
पल्स पोलियो कार्यक्रम के 25 वर्ष पूरे होने का उत्सव 31 अक्टूबर 2019 को मनाया जाएगा
भारत में पल्स पोलियो कार्यक्रम के अगुआ केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज यहां कहा, “आइए हम फिर से संकल्प लेते हैं कि टीकाकरण से रोके जा सकने वाले रोगों (वीपीडी) से बचाने के लिए हर एक बच्चे तक पहुंचेंगे।”
पल्स पोलियो कार्यक्रम की रजत जयंती के अवसर पर मीडिया को संबोधित करते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि 31 अक्टूबर 2019 को जनपथ स्थित डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में लगभग 800-900 अपेक्षित प्रतिनिधियों की मौजूदगी में एक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इस अवसर पर बोलते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि 2014 में भारत को पोलियो मुक्त घोषित करने तक की यात्रा लंबी और महान रही है, “इस सबकी शुरुआत एक विचार से हुई कि अगर हर व्यक्ति तक मत पत्र पहुंच सकते हैं तो फिर जीवन बचाने वाली टीके की दो बूंदें भी हर बच्चे तक पहुंचनी चाहिए।”
दिल्ली शहर में 2 अक्टूबर 1994 को 4000 पोलियो केंद्रों के माध्यम से 12 लाख बच्चों को पोलियो टीकाकरण की दवा पिलाने की सफलता के बाद देशव्यापी आंदोलन चालू हुआ और एक साल बाद 1995 में पल्स पोलियो कार्यक्रम पूरे देश में फैल गया। डॉ. हर्षवर्धन ने इस अभियान में योगदान देने वाले सभी हितधारकों को शुक्रिया अदा किया, “भारत ने मजबूत सरकारी नेतृत्व, पहली पंक्ति की स्वास्थ्य श्रमशक्ति, समुदायों, धर्म गुरुओं,स्वास्थ्य अधिकारियों, राज्य सरकारों, नागरिक समाज संगठनों, आईएमए व आईएपी जैसे पेशेवर निकायों और डब्ल्यूएचओ, रोटरी और यूनिसेफ जैसे भागीदारों की कड़ी मेहनत व समर्पण और सबसे महत्वपूर्ण ढंग से हमारे देशवासियों के समर्थन के साथ ये बहुत बड़ी जीत हासिल की है।” माननीय मंत्री ने आगे कहा कि पल्स पोलियो कार्यक्रम द्वारा स्थापित सर्वोत्तम प्रथाओं और प्रणालियों ने अन्य स्वास्थ्य कार्यक्रमों को भी लाभ पहुंचाया है जैसे कि समुदायों को जुटाना, रसद प्रबंधन, अंतिम मील तक पहुंचना या निगरानी प्रणाली को स्थापित करना।
पल्स पोलियो कार्यक्रम से मिले सबकों ने अन्य टीकाकरण कार्यक्रमों जैसे मिशन इन्द्रधनुष (एमआई) और गहन मिशन इन्द्रधनुष (आईएमआई) को क्रियान्वित करने में मदद की है, “हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने मिशन इन्द्रधनुष को एक प्रमुख कार्यक्रम के रूप में मान्यता दी और इसे ग्राम स्वराज अभियान (जीएसए) और साथ साथ विस्तारित ग्राम स्वराज अभियान (ईजीएसए) जैसे बहु-मंत्रालयीय कार्यक्रम में शामिल किया और हम देश भर में करोड़ों बच्चों तक पहुंचने और उन्हें प्रतिरक्षित करने में सक्षम हुए।” डॉ. हर्षवर्धन ने उल्लेख किया कि 2014 में जब से मोदी जी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में कार्यभार संभाला है, वैक्सीन की यूनिवर्सल टीकाकरण (यूआईपी) टोकरी के पूर्व के 7 वैक्सीन प्रिवेंटेबल रोगों (वीपीडी) से बढ़कर अब 12 वैक्सीन प्रिवेंटेबल रोगों तक पहुंचने का अनुमान है। अब तक, “भारत में मिशन इन्द्रधनुष और ऐसे ही संबंधित अभियान सफलतापूर्वक 3.39 करोड़ बच्चों और 87.2 लाख गर्भवती महिलाओं तक पहुंचे हैं और उनका टीकाकरण कर चुके हैं। मजबूत राजनीतिक प्रतिबद्धता और एमडबल्यूसीडी, एमओएचआरडी, युवा एवं खेल मंत्रालय जैसे 12 अन्य मंत्रालयों के साथ मजबूत जुड़ाव इन अभियानों की पहचान है।
मंत्री महोदय ने 31 अक्टूबर 2019 को होने जा रहे रजत जयंती कार्यक्रम की कार्यावली पर भी बात की और कहा कि यह हमारे पोलियो अभियान के दिग्गजों के साथ जश्न मनाने और बाल स्वास्थ्य देखभाल और टीकाकरण में भारत की उल्लेखनीय सफलताओं को चिन्हित करने का एक दिन होगा। उन्होंने कहा कि यह हमारे संकल्प को नवीनीकृत करने और सभी हितधारकों को सक्रिय करने का एक दिन होगा ताकि यूनिवर्सल टीकाकरण कार्यक्रम (यूआईपी) के अंतर्गत उपलब्ध सभी पूर्ण निःशुल्क और जीवनरक्षक टीकों की 100 प्रतिशत कवरेज सुनिश्चित करने के लिए साथ मिलकर काम करना जारी रखा जा सके। माननीय स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि 31 अक्टूबर 2019 को होने वाला कार्यक्रम 3 घंटे तक चलेगा और इसमें पल्स पोलियो की यात्रा पर एक फिल्म दिखाई जाएगी। इसमें उस दौर के प्रमुख कार्मिकों की एक पैनल चर्चा भी होगी। इस आयोजन के दौरान उन 16 जिलों को भी पुरस्कृत किया जाएगा जिन्होंने 2017-18 में आईएमआई के दौरान 90 प्रतिशत पूर्ण टीकाकरण कवरेज हासिल की है।
1988 में विश्व स्वास्थ्य सभा (डब्ल्यूएचए) ने वैश्विक पोलियो उन्मूलन पहल (जीपीईआई) शुरू करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया था। डॉ. हर्षवर्धन के नेतृत्व में दिल्ली सरकार ने 1994 में ओपीवी के साथ पहली बार बड़े पैमाने पर एक पूरक टीकाकरण अभियान शुरू किया था जिसने महात्मा गांधी के जन्मदिन पर 2 अक्टूबर को ‘दो बूंद ज़िंदगी की’ की यादगार टैगलाइन के साथ “पल्स पोलियो” टीकाकरण अभियान को जन्म दिया। दिल्ली में यह अभियान तीन वर्ष की आयु तक के लगभग 10 लाख बच्चों तक पहुंचा जिसमें ओपीवी की दो खुराक 2 अक्टूबर और 4 दिसंबर को विशेष बूथआधारित रणनीति के माध्यम से दी गई थीं। इस रणनीति को बाद में भारत सरकार ने पल्स पोलियो अभियान के रूप में अपनाया और लागू किया। 2014 में भारत के पोलियो-मुक्त देश का दर्जा पाने को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने “जन स्वास्थ्य के क्षेत्र में सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक” बताया था और न सिर्फ भारत को बल्कि पूरे दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र को पोलियो-मुक्त घोषित किया था।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की सचिव सुश्री प्रीति सूदन ने कहा, “हम रूटीन टीकाकरण (आरआई) कार्यक्रम के लिए माननीय मंत्री के पोलियो कार्यक्रम के जुनून का अनुकरण करने की कोशिश कर रहे हैं। इसमें संमिलित कार्रवाई हमारी मुख्य रणनीति है जिसमें बच्चों के माता-पिता और परिवारों को भी शामिल करने पर जोर दिया गया है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कोई भी बच्चा वीपीडी से प्रभावित न हो।”
इस कार्यक्रम में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।